aaj tak Archives - Prahri https://prahri.com/tag/aaj-tak/ Unbiased Truth Sat, 05 Nov 2022 02:48:38 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.4.3 https://prahri.com/wp-content/uploads/2022/08/271792455_143283188098536_5208032850095573459_n-96x96.jpg aaj tak Archives - Prahri https://prahri.com/tag/aaj-tak/ 32 32 एक ऐसा विदेशी परिवार जिसके तन मन में बसती है हिंदी … https://prahri.com/entertainment/a-foreign-family-whose-body-resides-in-the-mind-in-hindi/6933/ https://prahri.com/entertainment/a-foreign-family-whose-body-resides-in-the-mind-in-hindi/6933/#respond Sat, 05 Nov 2022 02:48:38 +0000 https://prahri.com/?p=6933 योगनगरी कही जाने वाली ऋषिकेश में एक विदेशी परिवार ऐसा भी रहता है, हिंदी जिनके जीवन का एक हिस्सा बन चुका है। दम्पति पीटर लॉडर और टेरिसा लॉडर का हिंदी के प्रति प्रेम का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन्होने अपने बच्चो को पढ़ने के लिए भी सरकारी स्कूल में भेजा। […]

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योगनगरी कही जाने

वाली ऋषिकेश में एक विदेशी परिवार ऐसा भी रहता है, हिंदी जिनके जीवन का एक हिस्सा बन चुका है। दम्पति पीटर लॉडर और टेरिसा लॉडर का हिंदी के प्रति प्रेम का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन्होने अपने बच्चो को पढ़ने के लिए भी सरकारी स्कूल में भेजा। पीटर और टेरिसा के बच्चे एक आम हिंदुस्तानी से भी अच्छी हिंदी बोलते हैं। यह जानकार आपको बहुत ही ख़ुशी हो रही होगी कि अपने देश की उपेक्षित राष्ट्रभाषा इस विदेशी परिवार की पहली भाषा बन गयी है।

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि लॉडर दम्पति मूल रूप से मध्य यूरोपीय देश स्विट्ज़रलैंड के रहने वाले हैं। ये लगभग चार दशक पूर्व ऋषिकेश घूमने के लिए आये और यही के होकर रह गए। पति-पत्नी ने लक्ष्मणझूला-सिलोगी मार्ग के पास घट्टूगाड़ में अपना घर बसाया है। शुरुआत में लॉडर दम्पति को हिंदी भाषा समझने में परेशानी जरूर हुई, लेकिन स्थानीय लोगो के साथ बात करते-करते ये लोग हिंदी बिलकुल अच्छी तरह से सीख गए।

 

पीटर और टेरिसा के एक बेटी और एक बेटा हैं। इन्होने बेटी का नाम गंगा और बेटे का नाम गणेश रखा है। लॉडर दम्पति ने अपने बच्चो की शिक्षा के लिए भारत के सरकारी स्कूल पर भरोसा जताया। हलाकि यदि ये चाहते तो आराम से अपने बच्चो को स्विट्ज़रलैंड के किसी निजी या इंग्लिश स्कूल में पढ़ा सकते थे लेकिन इन्होने उनकी पढाई हिंदी माध्यम के सरकारी स्कूल से करने की ठानी और अपने बच्चो का दाखिला सरकारी विद्यालय में करवा दिया।

हिंदी के साथ गढ़वाली भाषा भी बोलती है गंगा

पीटर और टेरिसा के अनुसार उनकी बेटी का हिंदी, गढ़वाली, और अंग्रेजी भाषा में अच्छी पकड़ है। गंगा का जन्म भारत में ही हुआ इसलिए उसे हिंदी सीखने में कोई परेशानी नहीं हुई।

पीटर और टेरिसा ने बदला नाम

पीटर लॉडर ने भारत में कुछ दिन रहने के बाद अपना नाम भोले रख लिया वही टेरिसा ने भी अपना नाम बदल कर शिवानी रख लिया है। आसपास के लोग भी इन्हे शिवानी और भोले ही बुलाते हैं।

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बेटे की याद में माँ ने स्कूल के लिए दान कर दी 100 डिसमील जमीन, बहू की कराई दूसरी शादी https://prahri.com/news/in-memory-of-son-mother-donated-100-decimile-land-for-school-daughter-in-law-got-second-marriage/6820/ https://prahri.com/news/in-memory-of-son-mother-donated-100-decimile-land-for-school-daughter-in-law-got-second-marriage/6820/#respond Tue, 01 Nov 2022 15:50:08 +0000 https://prahri.com/?p=6820 मां अपनी संतानों के लिए सबकुछ न्यौछावर करने के लिए तैयार रहती है. संतान के पालन पोषण से लेकर पढ़ाई लिखाई और अपने पैरों पर खड़े होने तक मां की ममता निराली होती है. संतान अगर अचानक दुनिया से चला जाए तो भी मां उसका नाम बनाए रखने के लिए अपना सबकुछ समर्पण करने के […]

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मां अपनी संतानों के लिए

सबकुछ न्यौछावर करने के लिए तैयार रहती है. संतान के पालन पोषण से लेकर पढ़ाई लिखाई और अपने पैरों पर खड़े होने तक मां की ममता निराली होती है. संतान अगर अचानक दुनिया से चला जाए तो भी मां उसका नाम बनाए रखने के लिए अपना सबकुछ समर्पण करने के लिए तैयार रहती है. ऐसी ही एक कहानी बिहार के पटना जिले से आई है. जहां एक मां ने अपने बेटे की याद में स्कूल खोलने के लिए करीब 100 डिसमील जमीन दान में दे दी है. उनके बेटे का नाम गौरव आदित्य था जो अब इस दुनिया में नहीं रहा. अपने बेटे के नाम पर ही मां एक स्कूल खोलना चाहती है. मां प्रतिभा द्विवेदी ने इसके लिए सरकार को जमीन दान में दे दी है. इसे लेकर प्रक्रियाएं लगभग पूरी हो चुकी है.

बेटे की याद में स्कूल के लिए दान की 100 डिसमील जमीन

स्कूल खोलने के लिए ये जमीन पटना जिले के बेलदारी चक स्थित मौजा कंसारी, सर्वे थाना मसौढ़ी और वर्तमान थाना गौरीचक में दी गई है. बताया जा रहा है जिस इलाके में जमीन दी गई है उस इलाके में हाई स्कूल नहीं है. ऐसे में अगर स्कूल खोला जाता है तो उस इलाके के छात्र छात्राओं को काफी फायदा पहुंचेगा. प्रतिभा द्विवेदी बताती हैं कि 1987 में जब उनका बेटा गर्भ में था तो उनके पति का देहांत हो गया था.

बेटे की मौत के बाद प्रतिभा द्विवेदी की दुनिया उजड़ गई

प्रतिभा द्विवेदी की कहानी काफी पीड़ादायक है. वो बताती हैं कि उनका बेटा पढ़ने में काफी तेज था. कोच्चि यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन की पढ़ाई के बाद उसकी नौकरी भी लग गई. साल 2017 में बेटे की शादी कर दी गई थी. लेकिन शादी के महज दो महीने बाद ही बेटे की मौत हो गई जिसके बाद वो बिल्कुल टूट गई. एकदम से पूरी दुनिया उजड़ गई थी. बेटे की मौत के बाद बहू की भी चिंता सताने लगी. बाद में उन्होंने साल 2019 में बहू की किसी और लड़के से शादी करवा दी क्योंकि अकेले जीवन काटना काफी मुश्किल था.

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33 साल की उम्र में बिना शादी मां बनने जा रही हैं स्वरा भास्कर https://prahri.com/entertainment/swara-bhaskar-is-going-to-become-a-mother-without-marriage-at-the-age-of-33/6777/ https://prahri.com/entertainment/swara-bhaskar-is-going-to-become-a-mother-without-marriage-at-the-age-of-33/6777/#respond Tue, 01 Nov 2022 15:01:51 +0000 https://prahri.com/?p=6777 बॉलीवुड अभिनेत्री स्वरा भास्कर (Swara Bhaskar) मे मां बनने का फैसला कर लिया है और इसके लिए उन्होंने प्रोसेस भी शुरू कर दिया है. स्वरा भास्कर तमाम दूसरी अभिनेत्रियों की तरह बच्चा गोद लेने का फैसला किया है. स्वरा भास्कर अपने इस फैसले को लेकर खासा सुर्खियों में आ गई हैं. ऐक्ट्रेस ने एक संभावित […]

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बॉलीवुड अभिनेत्री स्वरा भास्कर

(Swara Bhaskar) मे मां बनने का फैसला कर लिया है और इसके लिए उन्होंने प्रोसेस भी शुरू कर दिया है. स्वरा भास्कर तमाम दूसरी अभिनेत्रियों की तरह बच्चा गोद लेने का फैसला किया है. स्वरा भास्कर अपने इस फैसले को लेकर खासा सुर्खियों में आ गई हैं. ऐक्ट्रेस ने एक संभावित दत्तक पैरंट के तौर पर साइन किए. वह फिलहाल बच्चे को गोद लेने की वेटिंग लिस्ट में है.

स्वरा भास्कर ने

अपने एक हालिया इंटरव्यू में मां बनने की इच्छा जाहिर की है. इसके साथ उन्होंने बताया कि देश में कितने लाखों बच्चे हैं, जो अनाथालय में रहते हैं. स्वरा भास्कर ने न सिर्फ गोद लेने की प्रक्रिया की शुरुआत की है बल्कि कई उन कपल्स से मिली हैं जो बच्चा गोद ले चुके हैं.

‘मिड डे’ से बात करते हुए

स्वरा भास्कर ने बताया, “मैंने हमेशा से फैमिली और बच्चे की इच्छा की है. मुझे लगता है कि अडॉप्शन एक ऐसा रास्ता है, जिससे मैं अपने इस सपने को पूरा कर सकती हूं. लकी हूं कि हमारे देश में सिंगल औरतों को बच्चे गोद लेने की अनुमति है. मैंने इस दौरान कई कपल्स से मिली हूं जिन्होंने बच्चा गोद लिया है. इसके साथ कई बच्चों से मिली हूं जो अब अडल्ट हो गए हैं. मैंने उनकी प्रक्रिया और अनुभव को समझा है.”

स्वरा भास्कर ने काफी रिसर्च के

बाद अडॉप्शन के फैसले के बारे में माता-पिता को बताया है. उनके इस फैसले का पैरंट्स ने सपॉर्ट किया है. स्वरा भास्कर ने कहा, “मैंने CARA के जरिए अडॉप्शन का प्रोसेस शुरू कर दिया है. मुझे पता है कि इंतजार थोड़ा लंबा है, ये भी हो सकता है कि इसमें तीन साल लग जाएं लेकिन गोद लिए हुए बच्चे का पैरंट बनने का इंतजार मुझसे नहीं हो रहा है.”

वर्क फ्रंट की बात करें तो स्वरा भास्कर अब शॉर्ट फिल्म ‘शीर कोरमा’ में नजर आएंगी. फिल्म में स्वरा भास्कर लेस्बियन का किरदार निभातीं नजर आएंगी. इस फिल्म में उनके साथ दिव्या दत्ता और शबाना आजमी भी हैं. फिल्म ‘शीर कोरमा’ को फराज आरिफ अंसारी ने डायरेक्ट किया है.

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गांव के लोग इस विधवा को देखना अपसगुन मानते थे, लेकिन उसके दुःख देखकर इस शख्स ने कर ली उस लड़की से शादी https://prahri.com/news/the-people-of-the-village-considered-to-see-this-widow-but-seeing-his-sorrow-this-man-married-that-girl/6734/ https://prahri.com/news/the-people-of-the-village-considered-to-see-this-widow-but-seeing-his-sorrow-this-man-married-that-girl/6734/#respond Fri, 28 Oct 2022 04:42:17 +0000 https://prahri.com/?p=6734 आज कलयुग के इस दौर में जिस तरह से समय व्यतीत हो रहा है इस दौर में बहुत ही कम लोग ऐसे है जिन्हे अपने से ज्यादा किसी दुसरो के दुःख दर्द का ख्याल रहता है। आज कलयुग का ऐसा समय बीत रहा है जहा हर कोई का सिर्फ यही सोच बनती जा रही है […]

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आज कलयुग के

इस दौर में जिस तरह से समय व्यतीत हो रहा है इस दौर में बहुत ही कम लोग ऐसे है जिन्हे अपने से ज्यादा किसी दुसरो के दुःख दर्द का ख्याल रहता है। आज कलयुग का ऐसा समय बीत रहा है जहा हर कोई का सिर्फ यही सोच बनती जा रही है कैसे दुसरो से आगे निकले, सिर्फ और सिर्फ अपने बारे में सोचना किसी दुसरो की दुःख दर्द का कोई परवाह नहीं करना, मानों आज के दौर में जिंदगी सिर्फ एक पतिस्पर्धा का खेल बन गई है। लेकिन वही अभी भी कुछ ऐसे लोग है जो अपनों से ज्यादा दुसरो की खुशियाँ का फिक्र करते है।

दरअसल कलयुग के इस दौर में आज हम आपको एक ऐसी कहानी के बारे में बताने जा रहे है जिसे सुनकर हर किसी को लगेगा की आज भी धरती पर इस कलयुग में इंसानियत बाकई जिन्दा है। आज भी कुछ ऐसे लोग है जो अपनी खुसियो से ज्यादा दुसरो की खुशियों की परवाह करते है। तो चलिए जानते है उस पूरी inspirational love story के बारे में – जहाँ एक ब्यक्ति ने समाज और लोगो की परवाह किये बिना मानवता के बारे में ज्यादा सोचा और फिर एक विधवा को ऐसी जिंदगी दी जिसके बारे में किसी ने नहीं सोचा था।

दरअसल आप की

जानकारी के लिए बता दे की यह घटना अफगानिस्तान देश की है। जहां अफगानिस्तान में जलालाबाद नाम का एक गांव है। इसी गांव से जुड़ी यह घटना है। आप को बता दे की इस गांव में एक अफसाना नाम की लड़की रहती थी। जिसका बच्चपन तो बहुत ही अच्छे से गुजरा, खेल खेल में हसीं खुसी और पढ़ाई लिखाई के बीच जिंदगी उस दौर में पहुंच गई जब, अफसाना नाम की लड़की का वही पास के गांव में ही फौज में नौकरी कर रहे ब्यक्ति के साथ शादी हो गया।

शादी होने के थोड़े ही दिनों में फौजी अपने वतन की सेवा करने के लिए ड्यूटी पर लौटा और दो देशो के बीच युद्ध के दौरान शहीद हो गया। जिसके बाद इधर अफसाना नाम की इस लड़की के साथ बुरा समय भी शुरू हो गया। उसके गांव के लोग इस लड़की को लोग ताने मारने लगे यहाँ तक की लोग इसे अप्सगुणी भी मानने लगे। जिसके बाद इस लड़की की जिंगदी शादी के सिर्फ एक ही हफ्ते में बत से बतर हो गई। गांव वाले के तने सुनसुनकर बुरा हाल हो गया वही घर से भी निकाल दिया।

इस तरह अफसाना की जिंदगी बदली –

दरअसल आप को बता दे की अफसाना नाम की लड़की का बच्चपन में एक लड़का दोस्त था। हालांकि दोनों के बीच दोस्ती ही थी, अफसाना को कभी ये नहीं मालूम था की वह लड़का इसे मन ही मन चाहता था। और लड़के ने भी कभी अपना प्यार का इजहार नहीं किया। बड़े होने के बाद पढ़ाई करने शहर चला गया और वही फिर जॉब करने लगा इस तरह करीब इस लड़के को गांव लौटे हुए 9 साल बीत गए थे। इस लड़का का नाम सलमान था। अपने गांव से दूर शहर में नौकरी करने वाला सलमान अब इतने वर्षो के बाद अपने गांव लौट रहा था।

गांव से करीब पांच किलोमीटर की दुरी पर आखरी बस स्टैंड था यही से लोग आ आवागमन हुआ करता है। बस स्टैंड में उतरने के बाद देखा की गांव के लिए इतने समय में भी कोई विकास नहीं हुआ है न ही कोई और सवारी है जिससे वह घर जा सकते फिर उसने पैदल ही चलना शुर कर दिया। अपने कंधे पर सुटकेश और बैग लिए गांव की और मंद मंद मुस्कराहट के साथ चला आ रहा था। उसके मन में अपने परिवार से मिलने की खुसी के साथ एक जिज्ञासा भी जाग रही थी की वो बच्चन की दोस्त अफसाना इस समय कैसी होगी क्या शादी हो गई या अभी भी वैसी ही है।

 

इन सभी मन में सपने को संजोये अपने गांव की तरफ सलमान धीरे धीरे बढ़ रहा था। उसके मन में एक दुःख पिछले 9 साल से ब्याप्त था की मैंने कभी क्यों नहीं अपने प्यार का इजहार अफसाना से कर पाया। मानों पूरा दिलो दिमाग पर अफसाना ही हावी होती जा रही हो जैसे जैसे गांव पास आ रहा था। उस लड़की का सूंदर सा चेहरा उसके आँखों के सामने बार बार याद आ रहा था। इसी सोच के बीच कब गांव के निकट उस पुराणी पीपल के पेड़ के पास पहुंच गया जहाँ वो बचपन में अफसाना और सलमान खेला करते थे।

अचनाक आँखों के समाने देख विस्वास ही नहीं हुआ

लेकिन अचनाक से सलमान ने अपने गांव के पेड़ के पास फटी और मैली साड़ी में एक लड़की को देखा जो बिलकुल ही अफसाना की तरह लग रही थी। पहले तो सलमान को भर्म हुआ लेकिन फिर उसने जब ध्यान से देखा तो वही चेहरा जो हमेसा से आँखों में पिछले 9 सालो से बसा था। फिर उसने पास जाकर देखा तो उसकी दशा देख कर चौक गया। क्योकि यह वही लड़की अफसाना थी। जिससे वो प्यार तो करता था लेकिन कभी इजहार नहीं किया था। लकड़ी के पास जाते ही सलामन के मुख्य से सिर्फ निकला बस एक ही आवाज, अफसाना तुम कैसे ?

अफसाना ने देखा सलमान को जब –

अफसाना नाम सुनते ही जब देखि तो वह भी सलमान को इतने समय बाद भी पहचान गई और कुछ बोल नहीं पा रही थी सिर्फ आँखों से आंशुओ के धार बह रहे थे। थोड़ी देर तक मानो वहां पर कुछ ऐसा नजारा था जैसे सायद भगवान ने ही इनदोनो को मिलवाना चाहे हो। थोड़ी देर बाद सलमान होस में आया और अफसाना को चुप कराते हुए ऐसी हालत का कारण जानना चाहा। लेकिन इस वक्त तभी पीछे से आवाज आई जब सलमान ने पलट कर देखा तो माँ आरही थी। उसने सलमान से तुरंत यहाँ से चलने को बोला, बेटा इस डायन और चुड़ैल के पास तू क्या कर रहा था, जो भी इसके पास जाता है उसका मानों बुरा दिन शुरू हो जाता है।

सबसे पहने नजरे उतारा गया –

सलमान कुछ समझ भी नहीं पा रहा था की माँ ऐसा क्यों बोल रही है। बार बार ऐसी स्वद सुनकर सलमान माँ से बोल उठा माँ बस करो वो तो आप के बेटी की उम्र की है। और अब ऐसा क्या हो गया की तुम भी ऐसी उलटी पुलटि बात बोल रही हो, बच्चपन में तो तुम उसे बहुत प्यार से अपने हाथो से खाना भी खिलाती थी। उस माँ बोली वो दूसरा समय था बेटा अब यह चुड़ैल बन चुकी है अपने ही पति को खा गई है। सलमान का हाथ पकड़कर जबरदस्ती घर ले आई और सबसे पहले सलवान की नजर और टोटके उतारी। वही दूसरी तरफ अफसाना के आँखों में आँशु बह रहे थे।

सलमान के मन में एक बेचैनी सी बन गई थी –

सलमान घर पर तो आगया लेकिन अब उसके मन में एक अजीब तरह की बेचैनी घर कर गई थी। आखिर लोगो ने ऐसा उसके साथ ऐसा शुलुक गांव वालो ने क्यों किया। घर पर सलमान के मन में तनाव बढ़ता ही जा रहा था। फिर शाम हुआ और लोगो से नजरे बचाते हुए सलमान खाना लेकर अफसाना के पास पंहुचा। जब सलमान उस पेड़ के पास पंहुचा तो देखा अफसाना उसी तरह रो रही है। किसी की आने की आहट सुन अफसना ने जब सामने सलमान को देखा तो बोली यहाँ क्यों आये हो इस समय।

दरसल आप को बता दे की सलमान ये सब अंधविस्वाशो को नहीं मानता था क्योकि वह एक पढ़ा लिखा नई पीढ़ी का युवक था। और उसे अफ्सना के साथ हो रहे सभी ब्यबहार का पता लगा लिया था। वो यह अच्छी तरह से जानता था की अफसाना का पति बॉर्डर पर तालिवानी आतंकियों से युद्ध के दौरान शहीद हो गया था। शादी के एक ही सफ्ताह में पति के शहीद हो जाने के कारन गांव के लोग उसे अप्सगुणी और डायन बताने लगे थे। और फिर उसके पिता के थोड़े ही दिनों में देहांत होने के बाद गांव के लोग उसे गांव से बाहर निकाल दिए थे।

उसके बाद सलामन ने अफसाना को समझाने की कोसिस किया तुम तो पढ़ी लिखी हो तुम गांव वालो की बातो को क्यों मानती हो। सलमान की बात सुनकर रोते हुए गांव वालो की पूरी कहानी बताई। उसके बाद बोली शायद मेरे किस्मत में यही लिखा है इस लिए मै अब बाकि की बची जिंगदी ऐसे ही गुजारना चाहती हु। समाज की रीती रिवाज का भी दुहाई सुनाने लगी। ऐसे में मै अकेली पूरी समाज के परंपरा से कैसे लड़ सकती हु अब हम्मे हिम्मत नहीं है। अब इसमें मेरा क्या कसूर है ऐसा बोल रोने लगी।

सलमान वापस शहर जाने लगा –

सलामन ने अफसाना को खाना खिलाया और कुछ कपड़े भी साथ लाया था जिसे देकर बापस घर आ गया। उस दिन के बाद से करीब साथ दिन तक सलमान गांव में रहा और एक भी पल ऐसा नहीं गुजरा जब सलमान ने अफसाना के बारे में नहीं सोचा हो। आखिर कार इसी कसमकस के बीच साथ दिन बीत गए और फिर वो शहर जाने लगा अपने नौकरी पर। माँ ने इस बार उसे उस रास्ते से नहीं जाने दी वल्कि किसी दूसरे रास्ते से बस स्टैंड तक जाकर छोड़ कर और बस में बिठाकर बापस आगे।

वही आप को बता दे की जैसे ही बस खुलने वाली थी, सलमान के मन में कुछ चल रहा था और वो बस से उतर गया और तुरंत उस पेड़ के पास गया जहाँ अफसाना रहती थी। वहाँ पहुंचने के बाद सलमान ने देखा अफसना अपने घुटने पर सर रखकर वैसे ही जिंदगी से हताश आँखों में आशु भरी बैठी है। पास पहुंचकर सलमान बोला मै शहर वापस जा रहा हु कब लौटूंगा ये बता नहीं सकता इस लिए तुमसे मिलने चला आया। अफसाना ने आखों से आँशु पोछते हुए सलमान को सफल यात्रा की बधाई दी और खुश रहने का आश्रीवाद दिया।

उसके बाद सलमान थोड़ी

देर चुप रहा फिर अफसाना से बोला मै के बात कहना चाहता हु और पूछने भी आया हु, समझलेना शायद भगवान ने ही मुझे तुमसे यह पूछने के लिए भेजा है। अफसाना एक तक सोच में पड़ गई रो सलमान को देखने लगी क्या पूछना चाहता है। सलमान ने थोड़ी देर चुप रहकर एक लम्बी साँस लेकर बोला अफसाना क्या तुम एक बार फिर से मुझसे शादी करोगी। सायद किस्मत में भगवान ने भी यही लिखा हो।

अफ्सना के मानों यह सुनकर होस ही उड़ गए हो। उसके आँख से आशुओ के धारा रुकने के नाम ही नहीं ले रहे हो। उसके बाद फिर सलमान बोला अगर तुम्हे लगता है की मेरे साथ खुशी पूर्वक रह सकती हो तो, इस गांव से दूर मेरे साथ शहर में एक नई जिंदगी की शुरआत करते है हम दोनों। फैसला तुम्हारा है एक नई जिंदगी इंतजार कर रही है। ये सब सुनने के बाद अफसाना सिर्फ रोये जा रही थी। और फिर थोड़ी देर बाद सलमान के गले लग कर भी खूब रोइ और बीते लम्हो को पीछे छोड़कर जिंगदी की नई रास्ते पर अफसाना सलमान के साथ शहर चली गई।

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शादी के 1 साल बाद ही हो गए थे जुड़ा, किस्मत ने 72 साल बाद फिर से मिलवाया https://prahri.com/news/after-1-year-of-marriage-they-were-connected-luck-introduced-again-after-72-years/6719/ https://prahri.com/news/after-1-year-of-marriage-they-were-connected-luck-introduced-again-after-72-years/6719/#respond Fri, 28 Oct 2022 04:25:11 +0000 https://prahri.com/?p=6719 सुखी दांपत्य जीवन नसीब की बात है. आज हम आपको एक ऐसी घटना के बारे में बताने जा रहे जो आपको हैरत में डाल देगी. दरअसल, यह मामला एक ऐसे पति पत्नी का है जिनकी शादी को अभी एक वर्ष भी पूर्ण नहीं हुआ था कि किस्मत ने दोनों के एक-दूसरे से दूर कर दिया […]

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सुखी दांपत्य जीवन

नसीब की बात है. आज हम आपको एक ऐसी घटना के बारे में बताने जा रहे जो आपको हैरत में डाल देगी. दरअसल, यह मामला एक ऐसे पति पत्नी का है जिनकी शादी को अभी एक वर्ष भी पूर्ण नहीं हुआ था कि किस्मत ने दोनों के एक-दूसरे से दूर कर दिया था. लेकिन आख़िरकार अब उनकी दुआ कबूल हुई और अब वे 72 साल बाद एक दूसरे से मिले है. जी हाँ, कुन्नूर में रहने वाली शारदा नामक महिला अपने पति से 72 साल बाद मिल पाई है. बता दें कि 85 वर्षीय शारदा जी के पति नारायणन अब 93 वर्ष की हो चुके हैं.

हालाकि यह किस्सा

हैरान करने वाला है मगर सत्य है.साल 1946 में शारदा और नारायणन की शादी हुई थी. उस जमाने के हिसाब से दोनो की शादी उम्र से बहुत पहले कर दी गई थी. उस वक्त शारदा 13 वर्ष की थी और नारायणन 17 वर्ष के थे. उनकी शादी को एक वर्ष भी नहीं पूरे हुए थे कि इन दोनों को अलग होना पड़ा था. अलग होने का कारण कुछ इस प्रकार है. नारायणन ने मुंबई के किसान आंदोलन में अपने पिता के साथ हिस्सा लिया था और इसी कारण इन्हें अपने पिता के साथ अंडरग्राउंड होना पड़ गया था.

वहीं पुलिस ने

उन्हें बाद में पकड़ लिया और उन्हें जेल में डाल दिया. पुलिस घर पर शारदा और उनकी सास को भी गिरफ्तार करने के लिए पहुंची थी. लेकिन शारदा की सास अपनी बहू के साथ भाग गई और बच गई थी. पुलिस ने नरण के घर को आग के हवाले तक कर दिया था. इसके बाद शारदा अपने मायके चली गई और वहीं रहने लगी. इधर नारायण बहुत लंबे वक़्त तक जेल में ही रहे थे. बाद में नारायण का कुछ पता नहीं लगने के बाद शारदा की दूसरी शादी करा दी गई थी.

दिलचस्प बात

यह रही कि दूसरी शादी से शारदा के बेटे भार्गवन ने अपनी मां को उनके पहले पति नारायणन से मिलवाने का फैसला किया. वहीं 8 साल बीत जाने के बाद सन् 1954 में नारायणन को जेल से रिहा कर दिया गया था. उनके पिता की जानलेवा हमले के कारण मौत भी हो चुकी थी. नारायणन ने भी जेल से निकलने के बाद दूसरा विवाह कर लिया था.

शारदा के बेटे

को अपनी मां उनकी पहली शादी के बारे में सब कुछ पता था और वह चाहता था कि वे एक बार दोनो मिल ले. भार्गवन को नारायण के कुछ रिश्तेदारों का पता था. इन्हीं रिश्तेदारों से भार्गवन तक यह खबर पहुंची थी कि नारायण अभी भी जिंदा है फिर जाकर शादी के 72 वर्ष बाद शारदा और नारायण मिले और कुछ समय साथ में बिताया.

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बच्चों को मिले बेहतर शिक्षा के लिए दान कर दी अपनी जमीन https://prahri.com/news/donated-his-land-for-better-education-for-the-children/6698/ https://prahri.com/news/donated-his-land-for-better-education-for-the-children/6698/#respond Thu, 27 Oct 2022 16:18:57 +0000 https://prahri.com/?p=6698 मां अपनी संतानों के लिए सबकुछ न्यौछावर करने के लिए तैयार रहती है. संतान के पालन पोषण से लेकर पढ़ाई लिखाई और अपने पैरों पर खड़े होने तक मां की ममता निराली होती है. संतान अगर अचानक दुनिया से चला जाए तो भी मां उसका नाम बनाए रखने के लिए अपना सबकुछ समर्पण करने के […]

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मां अपनी संतानों के लिए

सबकुछ न्यौछावर करने के लिए तैयार रहती है. संतान के पालन पोषण से लेकर पढ़ाई लिखाई और अपने पैरों पर खड़े होने तक मां की ममता निराली होती है. संतान अगर अचानक दुनिया से चला जाए तो भी मां उसका नाम बनाए रखने के लिए अपना सबकुछ समर्पण करने के लिए तैयार रहती है. ऐसी ही एक कहानी बिहार के पटना जिले से आई है. जहां एक मां ने अपने बेटे की याद में स्कूल खोलने के लिए करीब 100 डिसमील जमीन दान में दे दी है. उनके बेटे का नाम गौरव आदित्य था जो अब इस दुनिया में नहीं रहा. अपने बेटे के नाम पर ही मां एक स्कूल खोलना चाहती है. मां प्रतिभा द्विवेदी ने इसके लिए सरकार को जमीन दान में दे दी है. इसे लेकर प्रक्रियाएं लगभग पूरी हो चुकी है.

बेटे की याद में स्कूल के लिए दान की 100 डिसमील जमीन

स्कूल खोलने के लिए ये जमीन पटना जिले के बेलदारी चक स्थित मौजा कंसारी, सर्वे थाना मसौढ़ी और वर्तमान थाना गौरीचक में दी गई है. बताया जा रहा है जिस इलाके में जमीन दी गई है उस इलाके में हाई स्कूल नहीं है. ऐसे में अगर स्कूल खोला जाता है तो उस इलाके के छात्र छात्राओं को काफी फायदा पहुंचेगा. प्रतिभा द्विवेदी बताती हैं कि 1987 में जब उनका बेटा गर्भ में था तो उनके पति का देहांत हो गया था.

बेटे की मौत के बाद प्रतिभा द्विवेदी की दुनिया उजड़ गई

प्रतिभा द्विवेदी की कहानी काफी पीड़ादायक है. वो बताती हैं कि उनका बेटा पढ़ने में काफी तेज था. कोच्चि यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन की पढ़ाई के बाद उसकी नौकरी भी लग गई. साल 2017 में बेटे की शादी कर दी गई थी. लेकिन शादी के महज दो महीने बाद ही बेटे की मौत हो गई जिसके बाद वो बिल्कुल टूट गई. एकदम से पूरी दुनिया उजड़ गई थी. बेटे की मौत के बाद बहू की भी चिंता सताने लगी. बाद में उन्होंने साल 2019 में बहू की किसी और लड़के से शादी करवा दी क्योंकि अकेले जीवन काटना काफी मुश्किल था.

 

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कुदरत का करिश्मा गाय ने दिए 2 सर वाले बछड़े को जन्म, वायरल हो रही खबर https://prahri.com/breaking/natures-charisma-cow-gave-birth-to-a-calf-with-two-heads-the-news-is-going-viral/6451/ https://prahri.com/breaking/natures-charisma-cow-gave-birth-to-a-calf-with-two-heads-the-news-is-going-viral/6451/#respond Tue, 18 Oct 2022 15:28:41 +0000 https://prahri.com/?p=6451 विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की अनुवांशिक असामान्यताओं वाले पशु आमतौर पर या तो मृत पैदा होते हैं या जन्म के कुछ समय बाद ही मर जाते हैं. हालांकि, दो सिर वाले बछड़े के जन्म के बाद गांव के लोग दहशत में आ गए. ग्रामीण इस अनोखी घटना को देखकर हैरान हैं. हालांकि, […]

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विशेषज्ञों का

कहना है कि इस तरह की अनुवांशिक असामान्यताओं वाले पशु आमतौर पर या तो मृत पैदा होते हैं या जन्म के कुछ समय बाद ही मर जाते हैं. हालांकि, दो सिर वाले बछड़े के जन्म के बाद गांव के लोग दहशत में आ गए. ग्रामीण इस अनोखी घटना को देखकर हैरान हैं. हालांकि, डॉक्टर्स का कहना है कि इसमें डरने या घबराने जैसी कोई बात नहीं है.

एक गाय ने दो सिर वाले बछड़े को जन्म दिया. जन्म के कुछ दिन बाद बछड़े की मौत हो गई. दो सिर वाले इस बछड़े के जन्म के बाद गांव के लोग दहशत में आ गए. ग्रामीण इस अनोखी घटना को देखकर हैरान रह गए.

‘डेली स्टार’ की रिपोर्ट के मुताबिक,

मामला ब्राजील के Bahia स्टेट स्थित Tapera Do Peixe गांव का है. जहां 18 जुलाई को एक ग्रामीण के खेत में गाय ने 2 सिर वाले बछड़े को जन्म दिया. हालांकि, पैदा होने के चार दिन बाद ही बछड़े की मौत हो गई.

विचित्र तरह के दिखने वाले इस बछड़े के जन्म लेने के बाद गांव वाले दहशत में आ गए थे. हालांकि, डॉक्टर्स ने बताया कि ‘अल्ट्रा रेयर’ जेनेटिक डिफेक्ट से दो सिर के साथ बछड़े का जन्म हुआ है. ये महज संयोग है. ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है.

गाय के मालिक ने कही ये बात

वहीं, जानवर पालने वाले एलिडन ओलिवेरा सूसा ने कहा- यह एक दुर्लभ घटना है, ये एक असामान्य मामला है. मेरी बेटी चकित थी क्योंकि उसने ऐसी दुर्लभ घटना कभी नहीं देखी थी. उन्होंने कहा कि वह और उनकी 12 साल की बेटी एलीडा सूसा मुश्किल से इस ‘अजीब जीव’ के करीब जा पाए, क्योंकि गाय हमें उसके करीब नहीं जाने दे रही थी.

एलिडन के अनुसार, बछड़े को जन्म देने वाली गाय ने हमें अपने बच्चे के करीब नहीं जाने दिया. हम बछड़े को दूध पिलाना चाहते थे, ताकि चीजें ठीक से हो सकें. हालांकि, बाद में बछड़े की मौत हो गई और अब हम गाय की देखभाल कर रहे हैं.

एलिडन ने कहा कि

वो बछड़े को पशु चिकित्सक के पास ले जाना चाहते थे लेकिन पहले ही उसकी मौत हो गई. उन्होंने बताया कि गंभीर जेनेटिक डिफेक्ट के बावजूद बछड़ा पूरे चार दिन (21 जुलाई तक) जीवित रहा. इस मामले में विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की अनुवांशिक असामान्यताओं वाले पशु आमतौर पर या तो मृत पैदा होते हैं या जन्म के कुछ समय बाद ही मर जाते हैं.

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दूध बेचकर-रिक्शा चलाकर बने स्कूल टीचर, 39 साल बाद रिटायर होकर गरीब बच्चों को बांटे इतने लाख रुपये https://prahri.com/world/school-teacher-made-by-selling-milk-and-driving-a-rickshaw-retired-after-39-years-and-distributed-so-many-lakh-rupees-to-poor-children/6447/ https://prahri.com/world/school-teacher-made-by-selling-milk-and-driving-a-rickshaw-retired-after-39-years-and-distributed-so-many-lakh-rupees-to-poor-children/6447/#respond Tue, 18 Oct 2022 15:22:10 +0000 https://prahri.com/?p=6447 दोस्तों आप ने ये बात हमेशा सुनी होगी की गुरु के बिना ज्ञान नहीं मिलता,दोस्तों ये ज्ञान हमें अंधकार से उजाले की और ले जाता है,हमारे भारत देश में ऐसे कई महान अध्यापक है जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में बहुत से बच्चो की जिंदगी बनाई,इनमे से कई गुरुओ ने बच्चो को बिना फीस लिए पढ़ाया […]

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दोस्तों आप

ने ये बात हमेशा सुनी होगी की गुरु के बिना ज्ञान नहीं मिलता,दोस्तों ये ज्ञान हमें अंधकार से उजाले की और ले जाता है,हमारे भारत देश में ऐसे कई महान अध्यापक है जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में बहुत से बच्चो की जिंदगी बनाई,इनमे से कई गुरुओ ने बच्चो को बिना फीस लिए पढ़ाया है,इन्ही में से कई अध्यापको ने अपनी जमा पूंजी को स्कूल के निर्माण और बच्चो के उज्जवल भविष्य के लिए दान में दे दी, दोस्तों हमारे देश में गुरु को बहुत बड़ा दर्जा दिया जाता है,दोस्तों आज हम आप को ऐसे ही एक गुरु के बारे में बताने जा रहे है जिसने बहुत से बच्चो की जिंदगी बना दी.

MP के एक टीचर

ने गरीब बच्चों के लिए रिटायरमेंट के 40 लाख रुपए दान कर साबित कर दिया कि इस दुनिया में अच्छे लोगों की कमी नहीं है. मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के सरकारी स्कूल में सहायक शिक्षक के पद से रिटायर हुए विजय कुमार चंसोरिया का यह नेक काम इसलिए भी खास हैं क्योंकि उनका खुद का बचपन गरीबी में बीता. उन्होंने दूध बेचकर अपनी पढ़ाई पूरी की और ऑटो रिक्शा चलाकर शिक्षक बने.

39 साल की सरकारी नौकरी के बाद हाल ही में चंसोरिया रिटायर हुए हैं. चंसौरिया रिटायरमेंट के आखिरी दिनों में खंदिया स्कूल में थे. यह एक आदिवासी बाहुल्य गांव है जहां बच्चे, आर्थिक तंगी के कारण बोर्ड द्वारा निर्धारित परीक्षा की फीस नहीं भर पाते हैं.

बच्चों की इसी दशा को देखते हुए उन्होंने एक साल पहले फैसला किया कि रिटायरमेंट के बाद वो अपने सारे पैसे दान कर देंगे.

आगे उन्होंने

अपना किया हुआ वादा निभाया और जनरल प्रोविडेंट फंड और ग्रेच्युटी में मिलने वाले लाखों रुपए गरीब बच्चों को दे दिए. चंसोरिया का मानना है कि शिक्षा एकमात्र ऐसा हथियार है जिससे गरीबी को हराया जा सकता है. यही कारण है कि वो अपनी आखिरी सांस तक बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में मदद करते रहना चाहते हैं. समाज को चंसोरिया जैसे ही लोगों की जरूरत है

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माँ को बचाने के लिए बेटा कूद गया कुएं में, मौके पर ही हो गयी दोनों की मौत https://prahri.com/breaking/the-son-jumped-into-the-well-to-save-the-mother-both-died-on-the-spot/6441/ https://prahri.com/breaking/the-son-jumped-into-the-well-to-save-the-mother-both-died-on-the-spot/6441/#respond Tue, 18 Oct 2022 15:11:59 +0000 https://prahri.com/?p=6441 जयपुर के चाकसू थाना इलाके (Jaipur News today) के शक्कर खावदा गांव के पास स्थित एक ढाणी में इकलौते बेटे ने मां (Mother) के लिए अपनी जान देकर दूध का कर्ज चुकाया. गिर्राज (25) अपनी मां सोना देवी (48) के साथ खेत में काम रहा था, तभी मां को प्यास लगी तो वह पानी लेने […]

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जयपुर के चाकसू थाना

इलाके (Jaipur News today) के शक्कर खावदा गांव के पास स्थित एक ढाणी में इकलौते बेटे ने मां (Mother) के लिए अपनी जान देकर दूध का कर्ज चुकाया. गिर्राज (25) अपनी मां सोना देवी (48) के साथ खेत में काम रहा था, तभी मां को प्यास लगी तो वह पानी लेने कुएं पर गई लेकिन पैर फिसलने से उसमें जा गिरी. गिर्राज ने अपनी मां को बचाने के लिए कुएं में छलांग लगा दी लेकिन दुर्भाग्यवश दोनों की मौत हो गई. दिल दहला देने वाली घटना की सूचना पर मिलने पर ग्रामीण मौके पर पहुंचे और दोनों को कुएं से बाहर निकालने का प्रयास किया लेकिन कामयाब नहीं हुए. पुलिस ने सिविल डिफेंस की रेस्क्यू टीम को बुलाया. ग्रामीणों और रेस्क्यू टीम ने मिलकर दोनों को बाहर निकाला लेकिन तब तक दोनों दम तोड़ चुके थे.

जयपुर जिले में

एक बेटे (Son) ने मां (Mother) के दूध का कर्ज चुकाने के लिये अपनी जान तक दे दी. यह दीगर बात है कि वह अपनी मां को बचा नहीं पाया. जयपुर के चाकसू इलाके में हुये इस दर्दनाक हादसे (Shocking Incident) में मां और बेटे दोनों की मौत (Death) हो गई. पुलिस ने मां-बेटे के शवों का पोस्टमार्टम करवाकर उन्हें परिजनों को सौंप दिया है. मां के लिये जान देने वाला बेटा इकलौता ही था. हादसे के बाद मृतकों के गांव में मातम पसर गया वहीं उनके परिजनों में कोहराम मच गया.

पुलिस के अनुसार दिल को दहला देने वाली यह घटना जयपुर के चाकसू थाना इलाके के शक्कर खावदा गांव के पास स्थित एक ढाणी में आज सुबह करीब 10 बजे हुई. वहां गिर्राज (25) अपनी मां सोना देवी (48) के साथ अपने खेत में काम रहा था. इसी दौरान सोना देवी पानी लेने के लिये खेत में बने कुएं पर गई. वहां पानी भरते समय सोना देवी का पैर फिसल गया और कुएं में जा गिरी.

बेटे ने सीधे लगा दी कुएं में छलांग

इस बीच खेत में काम रहे उसके बेटे गिर्राज की नजर मां पर पड़ी. मां को कुएं में गिरते देखकर गिर्राज ने आव देखा ना ताव और सरपट कुएं की ओर दौड़ पड़ा. मां के कुएं में गिर जाने के बाद गिर्राज ने बिना एक पल गंवाये मां को बचाने के लिये सीधे कुएं में छलांग लगा दी. लेकिन उसकी किस्मत ने साथ नहीं दिया और मां-बेटे दोनों कुएं में डूब गये. इससे दोनों की मौके पर ही मौत हो गई.

कुएं से बाहर निकाला तब तक हो चुकी थी मौत

हादसे की सूचना पर ग्रामीण मौके पर पहुंचे और दोनों को कुएं से बाहर निकालने का प्रयास किया. इस बीच ग्रामीणों ने स्थानीय पुलिस को भी सूचित कर दिया. सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने सिविल डिफेंस की रेस्क्यू टीम को बुलाया. बाद में ग्रामीणों और रेस्क्यू टीम ने मिलकर दोनों को बाहर निकाला लेकिन तब तक दोनों दम तोड़ चुके थे.

ग्रामीणों की आंखें हुई नम

पुलिस उनको तत्काल स्थानीय अस्पताल भी ले गई लेकिन वहां डॉक्टरों ने गिर्राज और सोना देवी को मृत घोषित कर दिया. यह सुनकर ग्रामीणों की आंखें भर आई. गांव में जैसे ही मां-बेटे की मौत की सूचना पहुंची तो वहां मातम पसर गया. हर किसी की जुबां पर एक ही सवाल था कि गिर्राज ने मां को बचाने के लिये जबर्दस्त फूर्ति दिखाई और अपनी जान की परवाह किये बगैर कुएं में कूद गया लेकिन उसके प्रयास काम नहीं आये.

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4 साल पहले एक ट्रक वाले ने जान पर खेलकर बचाई थी लड़की की इज्जत, अब जाकर लड़की ने कुछ इस तरह चुकाया अहसान https://prahri.com/breaking/4-years-ago-a-trucker-saved-the-girls-honor-by-playing-on-her-life-now-the-girl-has-paid-a-favor-in-this-way/6388/ https://prahri.com/breaking/4-years-ago-a-trucker-saved-the-girls-honor-by-playing-on-her-life-now-the-girl-has-paid-a-favor-in-this-way/6388/#respond Mon, 17 Oct 2022 17:49:51 +0000 https://prahri.com/?p=6388 ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि “जिसका कोई नहीं होता, उसका खुदा होता है”. मुसीबत में पड़ने पर लोग अक्सर भगवान को ही याद करते हैं और यदि फरियाद दिल से की जाए तो भगवान उसे बचाने के लिए कोई न कोई फ़रिश्ता भी जरूर भेज देते हैं. आज हम आपको पीलीभीत और […]

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ये कहावत तो

आपने सुनी ही होगी कि “जिसका कोई नहीं होता, उसका खुदा होता है”. मुसीबत में पड़ने पर लोग अक्सर भगवान को ही याद करते हैं और यदि फरियाद दिल से की जाए तो भगवान उसे बचाने के लिए कोई न कोई फ़रिश्ता भी जरूर भेज देते हैं. आज हम आपको पीलीभीत और टनकपुर मार्ग पर स्थित हरदयालपुर गांव की एक ऐसी घटना बताएंगे जिसे जानने के बाद आप भी इस कहावत पर यकीन करने लगेंगे.

इस गांव के

आसपास काफी घना जंगल है और गांव से लगभग 300 मीटर दूर सावित्री देवी की झोपड़ी है. सावित्री झोपड़ी में अपनी 17 साल की बेटी किरण के साथ रहती है. सावित्री के पति 4 साल पहले इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. पति के जाने के बाद मां-बेटी दोनों अकेले रह गयीं. कुछ दिनों पहले दोनों अपनी झोपड़ी में सो रही थीं तभी कुछ गुंडों ने उनके घर पर हमला बोल दिया.

उस समय रात

के करीब 1.30 बज रहे थे. उन्होंने जबरन सावित्री की बेटी किरण को उठा लिया और उसे जंगल की तरफ ले गए. इस बीच किरण ने काफी शोर मचाया लेकिन दो लोग होने की वजह से वह कुछ कर नहीं पा रही थी.

लेकिन तभी एक

आदमी किरण की जिंदगी में फ़रिश्ता बनकर आया. दरअसल, जब गुंडे किरण को जंगल की तरफ ले जा रहे थे तब वहां से एक ट्रक गुजर रही थी. ट्रक ड्राइवर (असलम) ने जब किरण की आवाज़ सुनी तब उसने ट्रक रोक दिया और अपने एक दोस्त के साथ जंगल की तरफ भागा. जंगल पहुंचकर उसके सामने जो नजारा आया वह काफी डरावना था.

उसने देखा कि

दो दरिंदे एक लड़की को अपनी हवस का शिकार बना रहे थे. ये देखते ही असलम ने एक गुंडे को अपने दोनों हाथों से जकड़ लिया. तभी दूसरा गुंडा आया और उसने पीछे से असलम के सिर पर जोरदार वार किया. असलम को गहरी चोट आ गयी लेकिन उसने हार नहीं मानी और लड़की को फिर से बचाने में जुट गया.

लड़की को बचाने के

चक्कर में असलम के दोस्त को भी चोट लग गयी. उन्होंने डट कर दोनों गुंडों का सामना किया और आख़िरकार गुंडों को वहां से भागना ही पड़ा. बहादुरी दिखाकर असलम ने किरण की इज्जत बचा ली. असलम को काफी चोट आई जिस वजह से कुछ दिनों तक उसे अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा. ठीक होने के बाद असलम सावित्री और किरण से मिला और चला गया.

इस घटना को

4 साल बीत गए. एक दिन असलम उसी रास्ते से कहीं जा रहा था तभी अचानक उसके ट्रक में किसी वजह से आग लग गयी और ट्रक बेकाबू होकर खाई में जा गिरा. वह ट्रक के साथ खाई में अटक गया. खाई सावित्री के घर से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर था. अचानक रात को जोर से चिल्लाने की आवाज़ सुनकर सावित्री और किरण की नींद खुली. दोनों आवाज़ सुनकर खाई तक जा पहुंची. उन्होंने किसी तरह असलम की जान बचाई और उसे अपने घर ले आयीं. उन्होंने डॉक्टर बुलाकर घायल असलम का इलाज करवाया.

जब असलम को

होश आया तो उसने किरण को पहचान लिया. उसने पूछा क्या वह वही लड़की है जिसे गुंडों ने उठा लिया था? ये बात सुनकर किरण ने भी उसे पहचान लिया और गले लगकर रोने लगी. असलम के भी आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. उस दिन से किरण ने असलम को अपना भाई बना लिया और अब वह हर रक्षाबंधन पर उसे राखी बांधती है.

मजहब और धर्म किसी को तब पता चलेंगे जब आप बताएंगे वर्ना इंसानियत का तो कोई मजहब या धर्म नहीं होता. दोस्तों, उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आया होगा. पसंद आने पर लाइक और शेयर करना ना भूलें.

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