नमामि गंगे योजना को कानपुर में बट्टा लगने से गंगा को शुद्ध करने के प्रयास हो रहे हैं धराशायी

नमामि गंगे योजना को कानपुर में बट्टा लगा रहे हैं नगर निगम, जलकल, जल संस्थान एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इनकी लापरवाही से गंगा को शुद्ध करने के प्रयास कानपुर में धराशायी होते दिख रहे हैं

Polluted water continues to flow into Ganga

63 करोड़ रुपये करके वर्ष 2018 में सीसामऊ, परमत, बाबा घाट, गुप्तार घाट, परमिया पुरवा और नवाबगंज इलाकों में नालों को बंद कर दिया गया था.परन्तु हाल ही में एशिया के सबसे बड़े नाले सीसामऊ नाले को ट्रैक किया गया और इस निगरानी के दौरान यह पाया गया कि नाले का पानी अभी भी गंगा में डाला जा रहा था।

इस सीसामऊ नाले के पंपिंग स्टेशन द्वारा पीक टाइम में एक एमएलडी गंदा पानी ओवरफ्लो होकर गंगा में गिरता है। कई दिनों से नाले के नीचे से सिल्ट साफ नहीं की गई जिसकी वजह से गंदा पानी ओवरफ्लो होने की बात कही जा रही थी विशेष रुप से सीसामऊ नाला को परमानेंट बंद कर दिया गया था जिससे कि प्रदूषित गंदा या सीवर का पानी गंगा में नहीं गिरे

एक सप्ताह पूर्व जल निगम, गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के अधिकारी, प्राइवेट फॉर्म कानपुर रिवर मैनेजमेंट एजेंसी और पोलूशन बोर्ड के अधिकारियों की एक मीटिंग हुई थी। जिसमें निर्देश दिया गया था कि तत्काल आवश्यक कार्रवाई की जाए गंगा में गिरते गंदे पानी को रोका जाए। लेकिन एक सप्ताह बाद भी इसमें किसी प्रकार का सुधार नहीं हुआ।

कानपुर कमिश्नर द्वारा प्रोजेक्ट मैनेजर को तत्काल सिल्ट की सफाई कराने के निर्देश दिए गए हैं इसके अलावा बकरमंडी स्थित पंपिंग स्टेशन से सीवेज को डायवर्ट करने के लिए कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए

इस कार्य के लिए  24 घंटे का समय दिया गया है। कल इसका एक बार फिर निरीक्षण किया जाएगा। यदि फिर भी गंगा में गंदा पानी जाता है। तो सभी के विरुद्ध कार्रवाई के लिए शासन को लिखने की बात कानपुर कमिश्नर द्वारा कही गई

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