रूस-यूक्रेन युद्ध में चीन द्वारा रूस को प्रदान की जा रही सहायता पर, बाइडेन ने कहा कि उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ इस विषय पर “सीधी बातचीत” की है और यह स्पष्ट कर दिया कि “रूस की मदद करने के परिणामों को चीन गंभीरता से समझे और मदद रोके।” ब्रसेल्स में नाटो मुख्यालय में नाटो शिखर सम्मेलन और ग्रुप ऑफ सेवन मीटिंग के बाद एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान यूक्रेन पर रूसी आक्रमण पर ये टिप्पणी करते हुए बाइडेन ने यह बात कही
बाइडेन ने कहा कि उन्होंने रूस के साथ चीन के व्यवहार के परिणामों की ओर इशारा किया और बताया कि चीन ने पश्चिम के साथ मजबूत आर्थिक संबंध विकसित करने की मांग की थी। रूस की मदद करके चीन उन उद्देश्यों को खुद ही खतरे में डाल रहा है , जिन उद्देश्यों पर वास्तव में चीन को आगे बढ़ना था।” अमेरिकी राष्ट्रपति चाहते हैं कि रूस को जी (समूह) -20 से बाहर कर दिया जाए। बाइडेन ने अपने पश्चिमी सहयोगियों से रूस पर नए प्रतिबंध लगाने और यूक्रेन को मानवीय सहायता देने के लिए भी कहा
उधर, चीन के एक वरिष्ठ राजनयिक ने कहा है कि अमेरिका की हिंद-प्रशांत नीति यूरोप में पूर्व की तरफ विस्तार की नाटो की नीति जितनी ही खतरनाक है, जिसके चलते यूक्रेन में रूस का सैन्य अभियान शुरू हुआ है. सैन्य शक्ति कम करने के बजाय नाटो का दायरा लगातार बड़ा और मजबूत होता जा रहा है. इसके नतीजों का अंदाजा अच्छी तरह से लगाया जा सकता है. यूक्रेन संकट पुरे विश्व के लिए एक कड़ी चेतावनी है.’
चीनी अधिकारियों का कहना है कि कीव को शामिल करने की नाटो की योजना ने रूस की असुरक्षा की भावना को बढ़ा दिया, जिसके चलते रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का फैसला लिया. मॉस्को का करीबी सहयोगी चीन यूक्रेन के खिलाफ रूस की सैन्य कार्रवाई को आक्रमण बताने या उसकी निंदा करने से हमेशा बचता रहा है. यूक्रेन पर रूस ने गत 24 फरवरी को हमला किया। इसके बाद से अमेरिका सहित पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक एवं राजनीतिक प्रतिबंध लगाए हैं। इस युद्ध के लिए रूस को जिम्मेदार ठहराने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा एवं सुरक्षा परिषद में कई प्रस्ताव आए लेकिन चीन का रुख हमेशा रूस के समर्थन में रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस युद्ध की स्थिति का लाभ चीन उठा रहा है और चीन विभिन्न जरूरी सामानों की आपूर्ति एवं रूस से तेल एवं गैस की खरीद कर रहा है।