दर्द से जूझते रोगियों के लिए वरदान साबित होगी ‘क्रोनिक पेन बायोलॉजी’, बिना दवा के मिलेगी दर्द से मुक्ति

एक सर्वेक्षण में पाया है कि 19.3 फीसदी भारतीय वयस्क आबादी क्रोनिक पेन से पीड़ित है। वहीं, करीब 25 फीसदी पुराने दर्द न्यूरोपैथिक प्रकृति से पीड़ित मरीज हैं बायोटेक्नोलॉजी विभाग के अनुसार देश में मौजूदा क्रोनिक पेन व्यवस्थाओं के बारे में जानने के लिए एक मैप तैयार किया जा रहा है,भारत क्रोनिक पेन चिकित्सा के क्षेत्र में नए दिशा निर्देश लागू करेगा

chronic pain

क्रोनिक पेन से पीड़ित करोड़ों रोगियों को दर्द से निजात दिलाने के लिए सरकार द्वारा एक पहल की जा रही है,जिसके अंतर्गत आने वाले समय में ‘क्रोनिक पेन’ के उपचार के लिए जल्द ही एक विशेष तंत्र विकसित किया जाएगा

जिसकी कार्य सीमा में न सिर्फ सभी सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेज होंगे बल्कि अस्पतालों में भी शुरुआत से ही रोगियों का उपचार शुरू होगा। आने वाले समय में में मेडिकल छात्रों को उनके पाठ्यक्रम में ही क्रोनिक पेन बायोलॉजी प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

पुराने दर्द से जूझ रहे रोगियों का वर्तमान में कोई उपचार नहीं है और ऐसे रोगियों को केवल दर्द निवारक दवाओं के सहारे रहना पड़ता है। जिस कारण ओपिओइड्स/मॉर्फिन दवाओं का अत्यधिक उपयोग  हो रहा है और दर्द से जूझने वाले इन रोगियों को इन दवाओं लत लग रही है जिसके प्रतिकूल परिणाम भी देखने को मिलते रहे हैं

रोगियों में मुख्यत: दर्द के तीन बड़े रूप मिले हैं, जिनको कि नॉनसिसेप्टिव, न्यूरोपैथिक और नोसिप्लास्टिक में बांटा गया है। नोसिप्लास्टिक दर्द शारीरिक क्षति, चोट या रोग विकृति के साथ आता है, नोसिसेप्टिव दर्द तंत्रिका पथ में असामान्य गतिविधि के कारण होता है इसको सामान्य तौर पर गठिया और रीढ़ की हड्डी में समस्या के रूप में भी जानते हैं। तीसरा न्यूरोपैथिक दर्द किसी बीमारी के कारण होता है।

भारत में क्रोनिक पेन से पीड़ित करोड़ों मरीज हैं एक सर्वेक्षण में पाया है कि 19.3 फीसदी भारतीय वयस्क आबादी क्रोनिक पेन से पीड़ित है। वहीं, करीब 25 फीसदी पुराने दर्द न्यूरोपैथिक प्रकृति से पीड़ित मरीज हैं

बायोटेक्नोलॉजी विभाग के अनुसार देश में मौजूदा क्रोनिक पेन व्यवस्थाओं के बारे में जानने के लिए एक मैप तैयार किया जा रहा है, जिसके आधार पर अन्य देशों की पॉलिसी से तुलना करते हुए भारत क्रोनिक पेन चिकित्सा के क्षेत्र में नए दिशा निर्देश लागू करेगा और देश के सभी मेडिकल कॉलेज दर्द निवारक तंत्र से जोडकर शुरुआत से ही मरीजों के दर्द पर काम किया जाएगा।

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