स्वामी सहजानंद सरस्वती जिनका असली नाम नवरंग राय था उनका जन्म 22 फरवरी 1889 को गाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वह जुझौतिया ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे।
बिहार में किसान सभा आंदोलन 1929 में स्वामी सहजानंद सरस्वती के नेतृत्व में हुआ था। तब ही उन्होंने बिहार प्रोविंशियल किसान सभा (Bihar Provincial Kisaan Sabha) जिसे अब ऑल इंडिया किसान सभा या अखिल भारतीय किसान सभा के नाम से जाना जाता है। ऑल इंडिया किसान सभा, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया का किसान प्रकोष्ठ।
स्वामी सहजानंद सरस्वती ने 1937–1938 में बकष्ट आंदोलन की शुरुआत की, बकष्ट एक तरह की खेती होती है। स्वामी ने अपनी पूरे जीवन को किसान और किसान के हक़–हुकूक के पीछे न्योछावर कर दिया।
भारत छोड़ो आंदोलन के समय स्वामी सहजानंद सरस्वती गिरफ्तार हो गए थे, तब नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और उनकी पार्टी ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक ने 28 अप्रैल को स्वामी सहजानंद दिवस घोषित किया। ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक आज भी स्वामी सहजानंद दिवस धूम–धाम से मनाती है।
उस समय नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने कहा था:
स्वामी सहजानंद सरस्वती, हमारी भूमि में, एक ऐसा नाम है जिसके साथ जादू किया जा सकता है। भारत में किसान आंदोलन के निर्विवाद नेता, वे आज जनता के आदर्श और लाखों लोगों के नायक हैं। रामगढ़ में अखिल भारतीय समझौता-विरोधी सम्मेलन की स्वागत समिति के अध्यक्ष के रूप में उन्हें प्राप्त करना वास्तव में एक दुर्लभ सौभाग्य था। फॉरवर्ड ब्लॉक के लिए उन्हें वामपंथी आंदोलन के अग्रणी नेताओं में से एक और फॉरवर्ड ब्लॉक के मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक के रूप में प्राप्त करना एक सौभाग्य और सम्मान की बात थी। स्वामीजी के नेतृत्व के बाद, किसान आंदोलन के अग्रिम पंक्ति के नेताओं की एक बड़ी संख्या फॉरवर्ड ब्लॉक के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई है।
स्वामी सहजानंद दिवस ने अपने जीवन पर मेरा जीवन संघर्ष नामक एक पुस्तक लिखी थी जो हिंदी भाषा में लिखी गई थी। और भी किताबें उनकी जीवन पर हैं, जैसे: गया ज़िले में सवा मास, जंग और राष्ट्रीय आजादी, अब क्या हो?, संयुक्त किसान सभा और संयुक्त समाजवादी सभा के दस्तावेज, किसानों के दावे, धकैच का भाषण, महारुद्र का महातंडव थे।
उन्होंने अपने समाज के लिए भी कई पुस्तकें लिखी जो की निम्न है। 1. भूमिहार–ब्राह्मण परिचय 2. झूठा भय, मित्या अभिमान 3. ब्राह्मण कौन 4. ब्राह्मण समाज की स्तिथि 5. ब्रह्मांसी वंश विस्तार।
26 जून 2000 को तब भारत सरकार ने संचार मंत्री राम विलास पासवान के कहने पर उनके नाम और याद में स्टाम्प बनवाया था।
इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (Indian Council of Agricultural Research) नामक संस्था 1995 से स्वामी सहजानंद सरस्वती एक्सटेंशन साइंटिस्ट/सोशल वर्कर (Swamy Sahajanand Saraswati Extension Scientist/ Worker Award) नामक अवार्ड कृषि में बेहतर पढ़ाई और कार्य पर देती है।
बिहार के पूर्व राज्यपाल आर. एस. गवाई ने स्वामी सहजानंद सरस्वती के जीवन पर एक पुस्तक लिखी थी जिसे गवाई ने स्वामी के 57वे पुण्य तिथि पर पटना में प्रक्षेपण किया था।
स्वामी सहजानंद सरस्वती के नाम पर उनके गृह जिला गाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश में एक पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज खुला है, जिसका नाम स्वामी सहजानंद पोस्टग्रेजुएट कॉलेज है।
स्वामी सहजानंद सरस्वती का देहांत 26 जून 1950 को 61 वर्ष की उम्र में पटना, बिहार में हुआ था।