Cement Archives - Prahri https://prahri.com/tag/cement/ Unbiased Truth Thu, 20 Oct 2022 15:44:15 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.4.3 https://prahri.com/wp-content/uploads/2022/08/271792455_143283188098536_5208032850095573459_n-96x96.jpg Cement Archives - Prahri https://prahri.com/tag/cement/ 32 32 नया घर बनाने वालों की बल्ले बल्ले! आधी हो गई सरिया, सीमेंट-बालू की कीमत https://prahri.com/news/new-house-builders-bat-bat-barricades-halved-cement-sand-price/6515/ https://prahri.com/news/new-house-builders-bat-bat-barricades-halved-cement-sand-price/6515/#respond Thu, 20 Oct 2022 15:44:15 +0000 https://prahri.com/?p=6515 इस समय महंगाई अपने चरम पर है। हम सभी जानते हैं कि दिन-ब-दिन महंगाई कम होने वाली नहीं है बल्कि इसे बढ़ना ही है। अगर आप मंहगाई से बचकर घर बनवाना चाहते हैं तो अपने सपनों का घर अभी बनवा लें। आग की कीमत कम होने के बजाय बढ़ना तय है। ऐसे में भवन निर्माण […]

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इस समय महंगाई

अपने चरम पर है। हम सभी जानते हैं कि दिन-ब-दिन महंगाई कम होने वाली नहीं है बल्कि इसे बढ़ना ही है। अगर आप मंहगाई से बचकर घर बनवाना चाहते हैं तो अपने सपनों का घर अभी बनवा लें। आग की कीमत कम होने के बजाय बढ़ना तय है। ऐसे में भवन निर्माण सामग्री की बढ़ी कीमतों में गिरावट का फायदा उठाया जा सकता है। दरअसल भीषण गर्मी में भीषण गर्मी में मजदूरों के न मिलने से मांग घटी और निर्माण कार्य बंद होने से बारों के दाम कम हो गए हैं. करीब 7000 रूपये प्रति टन का अंतर आया है . वहीं, छह अंकों का आंकड़ा पार करने वाले बड़े ब्रांडों की कीमत में चार से पांच हजार रुपये की गिरावट आई है। आप कम खर्च में घर बना सकते हैं।

केंद्र सरकार ने

हाल ही में कोयला और कबाड़ पर शुल्क कम किया था। इसका असर अब लाहा बाजार पर भी पड़ने लगा है। इसके साथ ही स्पंज और स्पंज प्लेट पर एक्सपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी गई है। इन दोनों कच्चे माल पर निर्यात शुल्क शून्य से बढ़ाकर 45 प्रतिशत कर दिया गया है इस समय में उपलब्धता बढ़ी है। इन कारणों से बार के निर्माण की लागत कम हो गई है। कारोबारियों का कहना है कि महंगाई की वजह से रीबर और सीमेंट की कीमतों में आई गिरावट से अचानक खरीदारी बढ़ गई है.23 मई को ब्रांडेड बार 71,000 रुपये प्रति टन और स्थानीय ब्रांड बार 67,000 रुपये तक बिके।25 मई को ब्रांडेड बार 66,000 रुपये प्रति टन और स्थानीय ब्रांड बार 62,000 रुपये में बिके1 जून को ब्रांडेड बार 67,000 रुपये प्रति टन और स्थानीय ब्रांड बार 62,000 रुपये प्रति टन पर बिक रहे हैं।

नवंबर 2021 : 70000
दिसंबर 2021: 75000
जनवरी 2022 : 78000
फरवरी 2022 : 82000
मार्च 2022: 83000
अप्रैल 2022 : 78000
मई 2022 : 71000
जून 2022: 62000

उसी सीमेंट की

कीमत में भी कमी आई है, प्रिज्म सीमेंट रीवा के संभागीय विक्रेता वीरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि इस समय सीमेंट की कीमत गिर गई है, कीमत 380 रुपये हो गया है। पहले 400 रुपये से अधिक की कीमत सीमेंट बन गई थी।अल्ट्राटेक रीवा के विक्रेता सुनील सिंह ने कहा कि वर्तमान में सीमेंट की कीमत काफी गिर गई है, करीब 15 दिन पहले सीमेंट का भाव ₹410 प्रति बोरी था लेकिन अब यह घटकर ₹375 हो गया है।

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खाने पीने की चीजों से बनने वाले घर अब केवल किस्से-कहानियों में नहीं बल्कि हकीकत की दुनिया में भी मिलेंगे https://prahri.com/world/japanese-researchers-turn-food-waste-into-cement-for-construction/4232/ https://prahri.com/world/japanese-researchers-turn-food-waste-into-cement-for-construction/4232/#respond Thu, 09 Jun 2022 04:37:13 +0000 https://prahri.com/?p=4232 दुनिया भर में खाने की बेइंतिहा बर्बादी एक बहुत बड़ी समस्या है, बीते साल पूरी दुनिया में अनुमानित रूप से 93.10 करोड़ टन खाना बर्बाद हुआ, जो वैश्विक स्तर पर कुल खाने का 17 फीसदी है संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय घरों में हर साल करीब 6.87 करोड़ टन […]

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दुनिया भर में खाने की बेइंतिहा बर्बादी एक बहुत बड़ी समस्या है, बीते साल पूरी दुनिया में अनुमानित रूप से 93.10 करोड़ टन खाना बर्बाद हुआ, जो वैश्विक स्तर पर कुल खाने का 17 फीसदी है

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय घरों में हर साल करीब 6.87 करोड़ टन खाना हर साल बर्बाद हो जाता है, दुनिया भर में बर्बाद हो रहे खाद्य पदार्थो के कारण उत्पन्न हो रहे फ़ूड वेस्ट से सही ढंग से निजात पाना भी दुनिया के लिए चुनौती बना हुआ है

फूड वेस्ट यानी खाने का वो हिस्सा जो हम या तो इस्तेमाल नहीं करते या जो इसके लायक ही नहीं है. हाल ही में जापान के रिसर्चरों कोटा युया और सकाई माशिदा ने बेकार खाने से सीमेंट बनाने में कामयाबी हासिल की है. इन्होने ऐसी तकनीक विकसित की है जो बेकार खाने को सीमेंट में बदल देता है और इसे मकान बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है दिलचस्प बात यह है कि इस सीमेंट को आप खा भी सकते हैं.

इस प्रक्रिया में बना सीमेंट सिर्फ बेकार खाने से बना है और इस सीमेंट की तनाव सहन करने की क्षमता और लचीलापन आम सीमेंट की तुलना में चार गुना अधिक है. रिसर्चर माचिदा और सकाई ने कहा कि वो इस सीमेंट से वो ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में मदद करने की उम्मीद करते हैं

खराब हो जाने पर कूड़े के ढेर में फेंका गया खाना वातावरण में बहुत सारी मीथेन गैस छोड़ता है, जोकि पर्यावरण पर बेहद बुरा प्रभाव डालती है वहीं दूसरी ओर सीमेंट के उत्पादन के दौरान दुनिया भर की 8 फीसदी कार्बन डाईऑक्साइड का कुल उत्सर्जन होता है. सकाई और माशिदा का मानना है कि उनकी तकनीक से विकसित सीमेंट अब कंक्रीट की जगह ले सकती है, जिससे मीथेन गैस से संबंधित समस्याओं को कम किया जा सकता है जो कि लैंडफिल में खाद्य अपशिष्ट उत्सर्जित करता है

सकाई और माशिदा ने तरीका विकसित किया जिसमें पाउडर में तब्दील खाद्य पदार्थो के बुरादे को गर्मी दे कर जमाया जाता है. तीन चरणों वाली प्रक्रिया में सुखाना, पाउडर बनाना और जमाने का काम एमेजॉन पर बिकने वाले आम मिक्सरों और कंप्रेसरों का इस्तेमाल कर किया जा सकता है.

कई महीनों की नाकामी के बाद उन्होंने देखा कि वे तापमान और दबाव में थोड़ा बदलाव कर सीमेंट का जोड़ हासिल कर सकते हैं. सकाई ने बताया, “हर तरह का फूड वेस्ट अलग तापमान और दबाव के स्तर की मांग करता है और ग्लोबल वार्मिंग यही सबसे बड़ी चुनौती थी.”

उन्होंने चाय पत्ती, नारंगी, प्याज के छिलके, कॉफी, कैबेज और यहां तक कि लंचबॉक्स में बचे रह जाने वाले खाने से सीमेंट बनाई है. रिसर्चरों ने इसमें मसालों का इस्तेमाल कर इनका स्वाद बदला और देखा कि सीमेंट का रंग, खुशबू और स्वाद लोगों को काफी लुभाने वाला है. इन चीजों को अगर कोई खाना चाहे तो इन्हें टुकड़ों में तोड़ कर उबालना होगा.

सीमेंट को वाटरप्रूफ और चूहों या कीड़ों का आहार बनने से रोकने के लिए इस पर जापानी लाख की परत लगाई जा सकती है.

माशिदा का कहना है कि “हमारी अंतिम आशा प्लास्टिक की जगह लेने वाला सीमेंट बनाना है और साथ ही सीमेंट से बनी ऐसी चीजें जिनका बोझ पर्यावरण पर ना पड़े.”

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