राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा होते ही राजनीतिक दलों में बैठकों-चर्चाओं का दौर चालू हो चुका है और पुरे देश की नजर इस ओर है कि विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति का उम्मीदवार कौन होगा?
नैशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता शरद पवार देश की राजनीती के वरिष्ट और अनुभवी राजनेता हैं,जिनका सम्मान देश भर की सभी पार्टियों के नेता करते हैं।
राजनीतिक गलियारों में उनके लिए यह बात भी खूब कही जाती रही है कि उनके मन की बात या तो वो खुद जाने या फिर खुदा जाने।
खुद शरद पवार के अलावा कोई नहीं जान-समझ पता है कि वो क्या फैसला लेंगें, अधिकतर जब किसी मुद्दे वो हाँ बोलते हैं उसका मतलब ना निकलता है और जब वो न कहते हैं तो उसका मतलब अक्सर हाँ भी निकल आता है।
हाल ही में तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर विपक्ष की संयुक्त का आयोजन किया।
इस बैठक में 17 राजनीतिक दलों ने हिस्सा लिया, जिनमे कांग्रेस, टीएमसी, सीपीआई, सीपीआई (एम), सीपीआईएमएल, आरएसपी, शिवसेना, एनसीपी, राजद, सपा, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, जद (एस), डीएमके, आरएलडी, आईयूएमएल और झामुमो के वरिष्ट नेता शामिल हुए।
इस बैठक के दौरान विपक्ष एक साझा उम्मीदवार उतारने को लेकर तो राजी हुआ लेकिन उम्मीदवार के नाम पर सहमती नहीं बन पाई।
बैठक में शामिल हुए अधिकतर दलों की तरफ से राष्ट्रपति पद उम्मीदवार के तौर पर NCP प्रमुख शरद पवार का नाम सामने लाया गया।
लेकिन शरद पवार ने बैठक के दौरान इस प्रस्ताव बड़ी विनम्रता से ठुकरा दिया, विपक्ष की बैठक के बाद शरद पवार ने ट्वीट कर कहा कि
“मैं दिल्ली में हुई बैठक में भारत के राष्ट्रपति के चुनाव के लिए एक उम्मीदवार के रूप में मेरा नाम सुझाने के लिए विपक्षी दलों के नेताओं की तहे दिल से सराहना करता हूं,
हालांकि मैं यह बताना चाहता हूं कि मैंने अपनी उम्मीदवारी के प्रस्ताव को विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिया है. मुझे आम आदमी की भलाई के लिए अपनी सेवा जारी रखने में खुशी हो रही है.”।
हालाँकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब शरद पवार ने खुद को राष्ट्रपति पद के चुनाव दूर न रखा हो, पहले भी शरद पवार बीते कई सालों से राष्ट्रपति चुनाव में शामिल न होने की बात कहते रहे हैं।
एक बार उन्होंने कहा था कि मैं राष्ट्रपति पद की दौड़ में नहीं हूं, मुझे राजनीति से इतनी जल्दी रिटायर नहीं होना है, उन्होंने कहा था कि अगर आप राष्ट्रपति बनते हैं तो आपको अच्छी हवेली मिलती है लेकिन आप लोगों से मिलने का मौका नहीं मिलता।
हालाँकि मौजूदा समय में होने जाने जा रहे राष्ट्रपति पद के चुनाव में शरद पवार द्वारा उम्मीदवार नहीं बनने के बारे में राजनितिक विश्लेषक मानते हैं कि शरद पवार इस बात को बखूबी जानते हैं कि राष्ट्रपति का चुनाव जीतना इतना आसान नहीं है, क्योंकि जीत के लिए लिए जरूरी आंकड़ा विपक्ष के पास नहीं है और न ही विपक्ष में सम्पूर्ण एकजुटता है।
दूसरी ओर यह भी गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी और शरद पवार के बीच काफी अच्छे संबंध हैं, इसलिए भी वो एनडीए के उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़कर अपने रिश्ते खराब नहीं करना चाहते हैं।
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