ईधन यानि कि डीजल-पेट्रोल सिर्फ देश के नागरिकों की रोजमर्रा की ही जरुरत नहीं बल्कि देश में राजनीती कर रही विभिन्न पार्टीयों के लिए भी बेहद जरुरी है क्यूंकि तेल की कीमतों और राजनितिक गाड़ी का साथ चोली-दामन का रहा है, विशेषकर जो राजनैतिक दल विपक्ष में होता है उसके लिए तेल की बढती कीमतें समय समय पर संजीवनी का काम करती रही हैं
लेकिन इस बार तेल की कीमतों वाली इस आग के संग्राम के योद्धा सरकार और विपक्ष के राजनेता नहीं बल्कि केंद्र की भाजपा सरकार और देश के कई राज्यों की गैर भाजपा शासित सरकारों के मुखिया हैं
हाल ही में कोरोना के मौजूदा हालात पर सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की एक बैठक के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा कई राज्यों में ईंधन की ऊंची कीमतों को वहाँ के नागरिकों के साथ “अन्याय” करार दिया गया, जिसकी प्रतिक्रिया में इनमें से कई राज्य के मुख्यमंत्रियों ने इस बात का मुखर विरोध किया और केंद्र सरकार की इस बात को “बेशर्मी” का तमगा लगा दिया
प्रधानमंत्री ने कहा कि नवंबर में उनकी केंद्र सरकार द्वारा एक्साइज़ ड्यूटी घटा दिए जाने के बावजूद कई राज्यों ने VAT घटाने का उनका आग्रह नहीं माना, उन्होंने राज्य सरकारों से आग्रह किया था कि वे आम आदमी को लाभ देने के उद्देश्य से ‘राष्ट्रहित’ में VAT को घटाएं.
राज्यों से टैक्स घटाने के लिए कहने की इस बात पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने कहा कि प्रधानमंत्री को ‘शर्म आनी चाहिए’ तेलंगाना में वर्ष 2015 से ईंधन टैक्स में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है. राव ने कहा, “राज्यों से कहने के स्थान पर केंद्र टैक्स में कटौती क्यों नहीं कर देता…? केंद्र ने न सिर्फ टैक्स बढ़ाए हैं, वह सेस भी एकत्र करता है… अगर आपमें हिम्मत है, तो बताएं, टैक्स क्यों बढ़ाया गया…”
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा उनके राज्य को काफी कम मदद दी जाती है “केंद्र के पास हमारे 97,000 करोड़ रुपये बकाया हैं… जिस दिन हमें आधी रकम भी मिल गई, अगले ही दिन हम पेट्रोल और डीज़ल पर 3,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी दे देंगे… मुझे सब्सिडी से कोई समस्या नहीं है, लेकिन मैं सरकार कैसे चलाऊंगी…?”
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि “आज, मुंबई में एक लीटर डीज़ल की कीमत में 24.38 रुपये केंद्र के हैं, और 22.37 रुपये राज्य के हैं… एक लीटर पेट्रोल की कीमत में 31.58 रुपये केंद्रीय टैक्स है, और 32.55 राज्य का टैक्स है… इसलिए यह सच नहीं है कि पेट्रोल और डीज़ल राज्य की वजह से महंगे हुए हैं…”
तेल की कीमतों का यह मुद्दा तब अधिक गरमा गया जब केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले VAT और देश में आयातित हो रही शराब पर लगने वाले VAT की तुलना कर दी
उन्होंने विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों द्वारा केंद्र सरकार पर लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि अगर विपक्षी शासित राज्य आयातित शराब के बदले ईंधन पर करों की कटौती करते हैं, तो पेट्रोल सस्ता हो जाएगा.
हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार ने पेट्रोल पर ₹32.15/लीटर और कांग्रेस शासित राजस्थान ने इस पर ₹29.10/लीटर कर लगाया है, लेकिन बीजेपी शासित उत्तराखंड में केवल ₹14.51/लीटर और उत्तर प्रदेश में ₹16.50/लीटर ही टैक्स है. विरोध प्रदर्शन करने से फैक्ट नहीं बदल जाएंगे!”