अफगानिस्तान में महिला शिक्षा पर तालिबान का बड़ा फैसला, इन शर्तों के साथ दी महिलाओं को स्कूल जाने की इजाजत

अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के नए शिक्षा मंत्री अब्दुल बाकी हक्कानी होंगे, जिन्हे संयुक्त राष्ट्र ने सन 2001 से अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोसित किया है साथ ही बैन भी कर रखा है। जिस देश का शिक्षा मंत्री एक अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी हो उस देश की शिक्षा के स्तर के बारे में आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं। हाल ही में तालिबान ने अफगानिस्तान में स्कूल और कॉलेज जाने वाली लड़कियों के लिए नए नियम जारी किये हैं। ये नियम इतने सख्त हैं जिन्हे जानकार आप हैरान रह जायेंगे।

लड़कियों के लिए स्कूल-कॉलेज का पहला नियम

अफगानिस्तान के सभी स्कूल-कॉलेज में अब लड़कियों का नकाब या हिजाब पहनकर जाना अनिवार्य कर दिया गया है। इस नियम का उलंघन करने वालो को शरिया कानून के अनुसार सजा दी जाएगी। इसके पहले तालिबान सरकार ने चौराहे पर कोड़े मारने की सजा दी थी, इस बार भी कुछ इसी प्रकार की सजा मिल सकती है।

लड़कियों के लिए स्कूल-कॉलेज का दूसरा नियम

इस नियम के अनुसार लड़के और लड़कियों को अलग बिठाकर पढ़ाया जायेगा। पढाई के लिए अलग से जगह ना होने की स्थिति में दोनों को एक ही क्लास में बैठने की अनुमति है, लेकिन इसके लिए लड़के और लड़कियों के बीच में पर्दा लगा होना चाहिए। तालिबान ने इस परदे को शरिया पार्टीशन नाम दिया है। काबुल के कुछ यूनिवर्सिटीज की ऐसी तस्वीरें देखने को मिली हैं जहाँ लड़के और लड़कियों को अलग पढ़ते देखा जा सकता हैं।

लड़कियों के लिए स्कूल-कॉलेज का तीसरा नियम

इस नियम के अनुसार लड़कियों को केवल महिला अध्यापक ही पढ़ा सकेंगी। अफगानिस्तान में महिला टीचर्स की संख्या कम होने की वजह से इस नियम का पालन नहीं हो पा रहा है। संयुक्त राष्ट्र की संस्थान यूनिसेफ(UNICEF) के अनुसार अफगानिस्तान में हर तीन में से दो अध्यापक पुरुष हैं। यानि कि अफगानिस्तान में महिला अध्यापको की संख्या पहले से ही कम है और जो हैं उनमे से भी कइयों ने तालिबान के डर से पढ़ना छोड़ दिया है। ऐसी स्थिति में तालिबान के नियम के अनुसार लड़कियों को ज्यादा उम्र के पुरुष टीचर पढ़ा सकेंगे जिनका चरित्र अच्छा हो।

लड़कियों के लिए स्कूल-कॉलेज का चौथा नियम

स्कूल-कॉलेज में पढ़ाने वाली सभी महिला अध्यापिकाओं को नकाब या हिजाब पहनना अनिवार्य होगा।

लड़कियों के लिए स्कूल-कॉलेज का पांचवा नियम

लड़कियां केवल स्कूल बस या कॉलेज बस से ही सफर कर सकेंगी। इसके अलावा लड़कियां स्कूल या कॉलेज जाने के लिए किसी और पब्लिक ट्रांसपोर्ट या प्राइवेट वहां का उपयोग नहीं कर सकती। स्कूल/कॉलेज बस के शीशें काले रंग के होंगे साथ ही उनपर परदे लगे होंगे। यदि बस का चालक पुरुष है तो उसके सीट के पीछे और साइड में भी परदे लगाए जायेंगे जिससे वह लड़कियों को न देख सके और लड़कियां भी ड्राइवर को ना देख सके।

लड़कियों के लिए स्कूल-कॉलेज का छठा नियम

यह नियम इसलिए है ताकि लड़के और लड़कियों के बीच स्कूल/कॉलेज की छुट्टी के दौरान कोई संपर्क ना हो। इस नियम के अनुसार लड़कियों की छुट्टी लड़को से 5 मिनट पहले हो जाएगी, इन 5 मिनटों में लड़कियां वेटिंग रूम में जाकर बैठेंगी जिसके बाद लड़को की छुट्टी की जाएगी। फिर लड़कियां तब तक वेटिंग रूम में बैठी रहेंगी जबतक सभी लड़के कॉलेज/स्कूल से चले नहीं जाते। सभी लड़को के जाने के बाद ही लड़कियां अपनी बसों में जाकर बैठेंगी।

लड़कियों के लिए स्कूल-कॉलेज का सातवां नियम

सातवां और आखिरी नियम भी लड़के और लड़कियों के ना मिलने के सम्बन्ध में है, इस नियम के अनुसार यदि कोई लड़की किसी लड़के से बात करती है या किसी लड़के से आँखे मिलाती है तो उसे शरिया कानून के अनुसार सजा दी जाएगी।

2001 में अफगानिस्तान से तालिबान सरकार हटने के बाद से बहुत साडी लड़कियों ने स्कूल/कॉलेज जाना शुरू किया था। वर्ष 2018 तक अफगानिस्तान में स्कूल और कॉलेज जाने वाली लड़कियों कि संख्या लगभग 36 लाख थी। जबकि 2003 में केवल 6 प्रतिशत लड़कियां ही सेकेंडरी एजुकेशन में प्रवेश कर पाती थी।

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