किसान पिता को अफसर के चक्कर लगाते देख बेटी से रहा नहीं गया,खुद बनी आईएएस और कर रही गरीबों की सेवा

दुनिया मे कोई भी

बच्चा अपने माता-पिता को दुःख बिल्कुल मे बिल्कुल भी नही देख सकता हैं क्योंकि एक बच्चे के लिए उसके माता पिता ही सब कुछ होते हैं. हमारे देश में माता-पिता को भगवान के बराबर दर्जा दिया जाता हैं. बच्चे अपने माता-पिता सपने को पूरा करने के लिए अपना सपना तक बदल लेते हैं और उस सपने को करने मे अपने दिन रात एक कर देते है हैं. अब हम आपको एक ऐसी लड़कीं के बारे में बताने जा रहे है जिसने हालहि मे भारत की सर्वश्रेष्ठ आईएएस परीक्षा को पास किया है.

इस लड़कीं का इस परीक्षा को सफलता पूर्वक पास करने का सबसे बड़ा कारण थे उसके पिता जी ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उसके पिता जी ने कलेक्ट्री आफिस के बहुत ज्यादा चक्कर काटे थे और वहां बैठा हुआ आईएएस अधिकारी काफी ज्यादा अहंकारी था जिसके चलते वह रोज इस लड़कीं के पिता को आफिस के चक्कर कटवाता था. यही देख कर इस लड़कीं ने भी ठान लिया की मैं बनूगी तो सिर्फ आईएएस और कुछ नहीं.

आपको बता दे कि इस लड़कीं ने अपने पिता के लिए अपने इंजीनियर बनने का सपना भी छोड़ दिया और एक आईएएस अधिकारी बनने की ठान ली क्योंकि वह नही चाहती थी कि जैसा वयवहार उसके पिता के साथ हुआ है वैसा किसी ओर के भी साथ हो. आज हमारे इस आर्टिकल के माध्यम से आप समझ पाएंगे की किस तरह तमिलनाडु की इस लड़कीं ने अपने पिता के दुखों को देख कर ठान लिया कि वह एक आईएस अधिकारी बनेगी ओर लोगो की निःस्वार्थ भाव से सेवा करेगी.

बेटी ने गुस्से में आकर किया आईएएस अधिकारी बनने का फैसला, पिता ने काटे थे कलेक्टर ऑफिस के कई चक्कर

लड़की के बारे मे हम आपको बताने जा रहे हैं उसका नाम आईएएस रोहिणी भाजी बाखरे हैं जो कि तमिलनाडु राज्य के सेलम जिले के एक छोटे से गाँव की रहने वाली हैं. रोहिणी ने इंजीनियरिंग से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की. रोहिणी का साल 2015 में बहुत बड़ी IT कंपनी में अच्छे पैकेज पर चयनित की गई थी लेकिन रोहिणी ने अपने पिता की वजह से इस बड़े पैकेज को ठुकरा दिया और एक आईएएस अफसर बनने की ठान ली. रोहिणी के पिता एक किसान है.

खेती-बाड़ी से संबंधित समस्याओं को मद्देनजर रखते हुए रोहिणी के पिता आए दिन कलेक्टर के आफिस में अपनी शिकायत लेकर चक्कर लगाया करते थे लेकिन वहा का कलेक्टर अपने पद का नाजायज फायदा उठा रहा था और किसी की भी शिकायत की कोई सुनवाई नही कर रहा था. यही देख कर रोहिणी को गुस्सा आ गया और उसने भी कलेक्टर बनने की ठान ली ओर सोच लिया कि जैसे मेरे पिता को दर-दर की ठाकरे खानी पड़ी हैं वैसे और कोई भी ना खाए. यही होती हैं एक अच्छे औलाद की पहचान जो अपने पिता के दुःख को देख कर कुछ सिख ले और कुछ ऐसा करे कि जो दुख उसके माता पिता ने देखा हैं वह दर्द किसी और को ना देखना पड़े

 

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