मट्टन में मार्तंड तीर्थ से करीब एक किलोमीटर दूर मार्तंड सूर्य मंदिर स्थित है, इस मंदिर को काराकोट राजवंश के महाराजा ललितादित्य ने आठवीं शताब्दी में बनवाया था
15वीं शताब्दी की शुरुआत में सिकंदर बुतशिखान के शासन के दौरान मार्तंड सूर्य मंदिर को नष्ट कर दिया गया था, जो हिंदुओं के इस्लाम में जबरन धर्मांतरण के लिए जिम्मेदार था। उसे ‘सिकंदर द इकोनोक्लास्ट’ या सिकंदर बुतशिकन भी कहा जाता था, वह कश्मीर के शाह मिरी राजवंश का छठा सुल्तान था। उसने 1389 से 1413 के बीच शासन किया
उस समय से ही सूर्य मंदिर में पूजा पाठ एवं धार्मिक अनुष्ठान बंद हो गए और यह मंदिर अभी भी क्षतिग्रस्त स्थिति में है। पुरातत्व विभाग ने इस मंदिर को अपने अधीन ले रखा है और पुरातत्व विभाग ही इस परिसर की देख-रेख एवं अन्य सभी व्यवस्था देखता है
हाल ही में भारत के विभिन्न राज्यों से आए 100 हिंदू ब्राह्मणों ने दो दिन तक मार्तंड सूर्य मंदिर में पूजा का आयोजन किया जिसमें जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी शामिल हुए थे
नवग्रह अष्टमंगलम की पूजा में उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा एवं देशभर के संतों के साथ ही कश्मीरी पंडित समुदाय के लोगों के साथ स्थानीय निवासी भी मौजूद रहे, मंदिर में स्थित कुंड में भी जल भरा गया और हर-हर महादेव के नारे लगाने के साथ ही शंखों की ध्वनि वातावरण में गूंजी
जिस पर एएसआई ने स्थानीय प्रशासन से कहा कि ये नियमों का उल्लंघन है साल 1958 में बने भारतीय पुरातत्व विभाग से संबंधित क़ानून के अनुसार, किसी भी प्राचीन मस्जिद, मंदिर, चर्च या बौद्ध मंदिर में जो पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आने के समय निष्क्रिय था (यानी वहां धार्मिक क्रियाएं नहीं हो रही थी) तो वहां धार्मिक क्रियाएं करना प्रतिबंधित रहेगा
एएसआई ने प्रशासन से कहा है कि इस मंदिर में पूजा करना नियमों का उल्लंघन है क्योंकि इस परिसर में धार्मिक समारोह आयोजित करने के लिए अनुमति लेनी चाहिए थी, जोकि नहीं ली गई। ऐसे में प्रशासन को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसा उल्लंघन न हो
इस प्रकरण में जम्मू-कश्मीर प्रशासन का कहना है कि केंद्र शासित प्रदेश के अनंतनाग जिले स्थित मार्तंड सूर्य मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए उप राज्यपाल को किसी की आज्ञा लेने की जरूरत नहीं है और इस कार्यक्रम को प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल व अवशेष अधिनियम-1959 के नियम 7(2) के तहत इजाजत थी।