लांस नायक चंद्र शेखर हर्बोला के शरीर में कंधे से बंधी हुई धांतु की पलेट मिली जिसमें लांस नायक की पहचान संख्या अंकित थी।
पुराने रिकॉर्ड खंगालने पर पता चला की दरअसल ये पार्थिव शरीर ऑपरेशन मेघदूत के दौरान गायब हुए लांस नायक चंद्र शेखर हर्बोला जी का है।
29 मई 1984 को चंद्रशेखर बर्फीले तूफान में फंस गए।
मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट के हाथीगुर बिंटा के रहने वाले चंद्रशेखर हरबोला 19 कुमाऊं रेजीमेंट में लांसनायक थे. वह 1975 में सेना में शामिल हुए।
1984 में सियाचिन के लिए युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ा गया था। भारत ने इस मिशन का नाम ऑपरेशन मेघदूत रखा।
मई 1984 में सियाचिन में गश्त के लिए भारत से 20 सैनिकों की एक टुकड़ी भेजी गई थी। लांसनायक चंद्रशेखर हरबोला भी इसमें शामिल थे।
सियाचिन में ग्लेशियर टूटने से सभी जवान चपेट में आ गए, जिसके बाद किसी भी सैनिक के बचने की कोई उम्मीद नहीं थी ।
सैनिकों को खोजने के लिए भारत सरकार और सेना द्वारा एक तलाशी अभियान चलाया गया था। इसमें 15 जवानों के शव मिले, लेकिन पांच जवानों का पता नहीं चल सका।
रविवार को शहीद चंद्रशेखर हरबोला के परिजनों को रानीखेत स्थित सैनिक ग्रुप सेंटर से सूचना भेजी गई कि उनका शव सियाचिन में मिला है। बताया गया है कि उसके साथ एक अन्य सिपाही का शव मिला है।
उसके बाद उनका कोई अता-पता नहीं चला। अब 38 वर्ष बाद उनके शव के अवशेष मिले हैं। यह अवशेष मंगलवार को उनके परिवार को सौंप दिए जाएंगे।
उनका परिवार उत्तराखंड के हल्द्वानी में 38 वर्षों से इसका इंतजार कर रहा है।
लांस नायक हरबोल की बेटी कविता ने कहा, “पिता घर आ गए हैं, लेकिन काश वह जीवित होते और 75वां स्वतंत्रता दिवस एक साथ मना पाते।”
आर्मी ने पूरे सम्मान के साथ देश के हीरो को अंतिम श्रद्धांजलि दी। जल्द ही उनके शरीर को परिवार को सौंप दिया जाएगा।