पटना के शायरों ने ग़ालिब को किया याद
“रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल
जो आंख से ही न टपका तो फिर लहू क्या है”
पटना में अज़ीम शायर मिर्जा ग़ालिब की जयंती पर “अज़ीमाबाद में ग़ालिब” कार्यक्रम का आयोजन शायरा रश्मि गुप्ता द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में पटना के कई बड़े शायरों/कवियों ने शिरकत किया। अध्यक्षता करते हुए क़ासिम ख़ुर्शीद ने कहा कि नई पीढ़ी में आज भी इतना मकबूल होना ही उनके समकालीन होने सबूत है। प्रसिद्ध शायर संजय कुमार कुंदन ने कहा कि ग़ालिब का हर शेर, हर मिसरा बहुआयामी है। उनके अनुसार ग़ालिब मजाहिया लहजे में भी बड़ी बातें कह जाते थे। इस मौके पर जावेद हयात ने ग़ालिब के बारे में कई बातें कहीं। लोकप्रिय शायर समीर परिमल ने मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी का अपने व्यक्तित्व निर्माण में योगदान बताया और कई संस्मरण सुनाए।
इस अवसर पर शहर के लोकप्रिय क़ासिम खुर्शीद, संजय कुमार कुंदन, जावेद हयात, समीर परिमल, आलोक सिंह, चंदन द्विवेदी, रूबी भूषण, पूनम सिन्हा श्रेयसी, रवि किशन, आदि ने अपनी रचनाओं के माध्यम से शायरी के पितामह को श्रद्धांजलि अर्पित की।
शायर क़ासिम खुर्शीद ने सुनाया, “एहसास है तो प्यास का रिश्ता ज़रूर है
दिल में कहीं तो आप के दरिया ज़रूर है”
वहीं शायर संजय कुमार कुंदन ने कहा,
‘आप भी कहिए जो सबने है कहा
तुम भला क्या चीज़ हो कह दीजिए’
समीर परिमल ने कहा
“बड़ा जबसे घराना हो गया है
ख़फ़ा सारा ज़माना हो गया है
मुहब्बत की नज़र मुझपर पड़ी थी
वो खंजर कातिलाना हो गया है”
वहीं पूनम सिन्हा श्रेयसी ने सुनाया “जिधर देखो लगी है आग बचने की नहीं सूरत
जहन्नुम क्यों बनी दुनिया जहाँ वाले ज़रा देखो”
डॉ रूबी भूषण ने शुरुआत ऐसे की “बोझ अब मेरा उठाने की नही यह दुनिया
रूठ जाऊं तो मनाने की नहीं यह दुनिया”
रविकिशन ने यूँ शमा रौशन की “कभी मैं साहिर था कहानी का तेरी
ढूंढ रहा हूं अक्श अब निशानी का तेरी”
कवि चंदन द्विवेदी ने अपनी कविताओं से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। अयोजिका रश्मि गुप्ता ने तरन्नुम में खूबसूरत गजलें सुनाई।
धन्यवाद ज्ञापन रश्मि गुप्ता तथा कार्यक्रम का संचालन ज्योति स्पर्श ने किया।