देश में आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू हो, जाति आधारित जनगणना लोकतंत्र में विकास का मुद्दा नहीं नितेश सिंह

अखिल भारतीय क्षत्रिय सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितेश सिंह कछवाहा , प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए सरकार को आड़े हाथों लिया,कहा कि देश में आर्थिक आधार पर आरक्षण ज्यादा जरूरी है ना कि जातीय आधार पर, बिहार में हो रहे जाति आधारित जनगणना को बताया बिहार सरकार का एजेंडा , जनगणना के बाद समाज में द्वेष भरेगा और तुष्टिकरण की राजनीति को शुरू हो जाएगी पूरे देश में, इसमें कहीं से बिहार का और समाज का विकास नहीं होने वाला, हर कोई राजनीतिक मैं अपनी हिस्सेदारी ढूंढ लेंगे और विकास की गति हो जाएगी धीमा,जातिगत आरक्षण में जो खर्च पैसा हो रहा है हम गरीबों का पैसा है, सरकार डाटा लेना चाहती है उसके बाद गंदी राजनीति की एक कोशिश हो रही है बिहार में, नितेश सिंह कछवाहा ने कहा कि सवर्णों के लिए स्वर्ण एक्ट बनाया जाए, ताकि समाज में जो गरीब लोग हैं उनको सहारा मिल सके, जो करीब है जो वंचित है जो आर्थिक रूप से कमजोर है उसको आरक्षण का सही लाभ मिलना चाहिए, और जातिगत आरक्षण को समाप्त किया जाना चाहिए अखिल भारतीय क्षत्रिय सेवा दल के राष्ट्रीय देने के सिंह कछवाहा ने कहा कि इस क्रम में शुरू से हम लोगों ने आंदोलन कर रहा हूं, ईडब्ल्यूएस आरक्षण के कोटा को अधिक किया जाए, ताकि इस आरक्षण का लाभ मिल सके ,17 सालों मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे शख्श को जातिगत जनगणना का सहारा लेना पड़ रहा है 2024 चुनाव के लिए इसका मतलब है उसको अपने काम पर विश्वास नहीं है….
ये लोग कहते हैं हम जयप्रकाश नारायण के शिष्य हैं उन्होंने तो जातिवाद का विरोध किया था पर आप क्या कर रहे हैं…?

कर्नाटक और राजस्थान में जातिगत जनगणना हो चुकी है राजस्थान सरकार तो आंकड़ा ही जारी नहीं किया और कर्नाटक में भारी विरोध प्रदर्शन हुआ और समाज विभाजित हो गया..!!
बिहार में भी आने वाले समय में विभाजन की रेखा स्पष्ट दिखाई देगी , जिनकी ज्यादा संख्या होगी वो ज्यादा आरक्षण की मांग करेंगे जिनकी कम होगी उनके अंदर कुंठा भर जाएगा, द्वेष की भावना रहेंगी, कुछ लोगों को देख रहे हैं कि उनको लगता है सवर्ण जातिगत जनगणना के विरोधी हैं…!!
32 सालों से पिछड़ा वर्ग का ही मुख्यमंत्री रहा है बिहार में फिर बिहार क्यों पिछड़ा ?
आज भी बिहारी बाहर रोजगार के तलाश में क्यों जा रहे हैं? बिहार की शिक्षा व्यवस्था क्यों चौपट हो गई…
दाल भात, पोशाक के और साईकिल के पैसे देने से शिक्षा नहीं मिलती उसके लिए योग्य शिक्षक अनिवार्य है..!!
पिछड़े वर्ग को शिक्षा से वंचित पिछड़े वर्ग के ही नेता कर रहे हैं…!!
जैसे जातिगत जनगणना पूरा होगा, नेताओं में होड़ लग जाएगी, इनका हितैषी बनने के लिए और 2024 में वोट की फसल काटने के लिए ये लोग निकल पड़ेंगे….!!

सवर्णों के लिए देश पहले है फिर धर्म जाति मुद्दा नहीं है..!!

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