दूध बेचकर-रिक्शा चलाकर बने स्कूल टीचर, 39 साल बाद रिटायर होकर गरीब बच्चों को बांटे इतने लाख रुपये

दोस्तों आप

ने ये बात हमेशा सुनी होगी की गुरु के बिना ज्ञान नहीं मिलता,दोस्तों ये ज्ञान हमें अंधकार से उजाले की और ले जाता है,हमारे भारत देश में ऐसे कई महान अध्यापक है जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में बहुत से बच्चो की जिंदगी बनाई,इनमे से कई गुरुओ ने बच्चो को बिना फीस लिए पढ़ाया है,इन्ही में से कई अध्यापको ने अपनी जमा पूंजी को स्कूल के निर्माण और बच्चो के उज्जवल भविष्य के लिए दान में दे दी, दोस्तों हमारे देश में गुरु को बहुत बड़ा दर्जा दिया जाता है,दोस्तों आज हम आप को ऐसे ही एक गुरु के बारे में बताने जा रहे है जिसने बहुत से बच्चो की जिंदगी बना दी.

MP के एक टीचर

ने गरीब बच्चों के लिए रिटायरमेंट के 40 लाख रुपए दान कर साबित कर दिया कि इस दुनिया में अच्छे लोगों की कमी नहीं है. मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के सरकारी स्कूल में सहायक शिक्षक के पद से रिटायर हुए विजय कुमार चंसोरिया का यह नेक काम इसलिए भी खास हैं क्योंकि उनका खुद का बचपन गरीबी में बीता. उन्होंने दूध बेचकर अपनी पढ़ाई पूरी की और ऑटो रिक्शा चलाकर शिक्षक बने.

39 साल की सरकारी नौकरी के बाद हाल ही में चंसोरिया रिटायर हुए हैं. चंसौरिया रिटायरमेंट के आखिरी दिनों में खंदिया स्कूल में थे. यह एक आदिवासी बाहुल्य गांव है जहां बच्चे, आर्थिक तंगी के कारण बोर्ड द्वारा निर्धारित परीक्षा की फीस नहीं भर पाते हैं.

बच्चों की इसी दशा को देखते हुए उन्होंने एक साल पहले फैसला किया कि रिटायरमेंट के बाद वो अपने सारे पैसे दान कर देंगे.

आगे उन्होंने

अपना किया हुआ वादा निभाया और जनरल प्रोविडेंट फंड और ग्रेच्युटी में मिलने वाले लाखों रुपए गरीब बच्चों को दे दिए. चंसोरिया का मानना है कि शिक्षा एकमात्र ऐसा हथियार है जिससे गरीबी को हराया जा सकता है. यही कारण है कि वो अपनी आखिरी सांस तक बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में मदद करते रहना चाहते हैं. समाज को चंसोरिया जैसे ही लोगों की जरूरत है

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