शाहीन बाग में बुलडोजर रोकने से सुप्रीम कोर्ट का साफ़ इनकार,विपक्ष को फटकार के साथ मिली राजनीतिक याचिका दायर न करने की नसीहत !

शाहीन बाग में अतिक्रमण हटाने से रोकने के लिए दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए कह कि इस मामले में पीड़ितों को कोर्ट में आना चाहिए, राजनीति दल क्यों आ रहे हैं? "यह तो अति है. एक राजनीतिक पार्टी यहां क्यों आई है? उसके कौन से मौलिक अधिकार बाधित हो रहे हैं?"

Shaheen Bagh Anti-Encroachment Drive

देश-भर में जगह-जगह अवैध अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई चल रही है,इसी कड़ी में अबकी बार बुलडोजर अब दिल्ली के शाहीन बाग पहुंचा तो कई विपक्षी दल कार्यवाही के विरोध में उतर आए क्यूंकि कुछ समय पहले CAA और NRC के खिलाफ हुए आंदोलन का केंद्र शाहीन बाग ही रहा और इन्हीं आन्दोलन की वजह से शाहीन बाग चर्चा का विषय बना रहा

शाहीन बाग़ में अवैध दुकानों-मकान और बाकि अतिक्रमणों पर बुलडोजर चलाने इसकी तैयारियां साउथ दिल्ली म्यूनिसिपल कार्पोरेशन( South Delhi Municipal Corporation-SDMC)  द्वारा पिछले कई दिनों से चल रही थीं। लेकिन अतिक्रमण हटाने की निगम की इस कार्रवाई के खिलाफ कांग्रेस नेता प्रदर्शन करने लगे

अतिक्रमण हटाने पहुंचे बुलडोजर को रोकने के लिए कांग्रेस नेताओं ने हंगामा कर दिया और बुलडोजर के सामने आकर बैठ गए साथ ही इन नेताओं ने भाजपा पर आरोप लगाते हए कहा कि यह कार्रवाई भारतीय जनता पार्टी  के इशारे पर की जा रही है, आम आदमी पार्टी के चर्चित विधायक अमानतुल्ला खान भी अपने समर्थकों के साथ इस कार्यवाही का विरोध करने और कार्यवाही रुकवाने शाहीन बाग़ पहुँचे थे

इन आरोपों के जवाब में भाजपा द्वारा कहा गया कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अतिक्रमण विरोधी मुहिम का साम्प्रदायिक रंग देने में जुटी हुई हैं, भाजपा ने ओखला के आम आदमी पार्टी विधायक अमानतुल्ला खान पर खुद अतिक्रमण करने का आरोप लगाया है

दक्षिणी दिल्ली के कई इलाकों में निगम द्वारा अतिक्रमण हटाने के लिए चलाए जा रहे अभियान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका खारिज की दी गई है यह  याचिका भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी मार्क्सवादी(CPIM) ने दायर की गई थी

सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए कह कि इस मामले में पीड़ितों को कोर्ट में आना चाहिए, राजनीति दल क्यों आ रहे हैं? “यह तो अति है. एक राजनीतिक पार्टी यहां क्यों आई है? उसके कौन से मौलिक अधिकार बाधित हो रहे हैं?”

सीनियर वकील पी सुरेंद्रनाथ ने तर्क दिया कि एक याचिका रेहड़ीवालों की एसोसिएशन की तरफ से भी लगाई गई है  इस पर जस्टिस राव ने कहा कि “हमें संतुलन बनाना होगा. इस तरह सड़क घेरने को भी सही नहीं ठहरा सकते. बेहतर होगा कि आप उन लोगों से पहले हाई कोर्ट जाने को कहें.” अगर रेहड़ी वाले भी नियम तोड़ रहे हैं, तो उन्हें भी हटाया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जहांगीरपुरी मामले में दखल दिया गया क्योंकि वहां परिस्थितियां अलग थीं. हमने उदारता दिखाई इसका मतलब यह नहीं कि हम हर किसी को सुनते रहें, भले ही उसका निर्माण अवैध हो. जस्टिस एल नागेश्वर राव और बी आर गवई की बेंच ने कहा कि जिसे याचिका दाखिल करनी हो, वह पहले दिल्ली हाई कोर्ट जाए. वहां अगर राहत न मिले, तब सुप्रीम कोर्ट आए.

नगर निगम के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने याचिकाकर्ताओं की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा, यह लोग सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. सड़क घेर कर किए गए अतिक्रमण को हाई कोर्ट के आदेश पर हटाया जा रहा है.

लंबे अरसे से यह अभियान चल रहा है. अधिकतर जगह लोग खुद ही सड़क से टेबल आदि हटा लें रहे हैं. सिर्फ 2 जगह कुछ कार्रवाई करनी पड़ी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट को ऐसा बताया जा रहा है जैसे हम लोगों के घर गिरा रहे हैं.

मेहता ने आगे कहा कि हाई कोर्ट के आदेश पर सड़क और फुटपाथ पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई स्थानीय निवासियों की याचिका पर ही हो रही है. इन लोगों ने कभी भी हाई कोर्ट में अपनी बात नहीं रखी. लेकिन बाहर ऐसा माहौल बना रहे हैं कि जान-बूझकर एक समुदाय विशेष को ही निशाना बनाया जा रहा है.

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