देश के कई राज्य इन दिनों बिजली संकट झेल रहे हैं, लेकिन पंजाब वासियों को मौसम के बढ़ते पारे के साथ-साथ बिजली कटौती की दोहरी मार को झेलना पड़ रहा है, पंजाब के विपक्षी दलों का दावा है कि पंजाब के ग्रामीण इलाकों में 10 से 13 घंटे की लंबी बिजली कटौती की जा रही है.
कोरोना महामारी के बाद अर्थव्यवस्था की तेज तरक्की के लिए फैक्ट्रियों में उत्पादन बढाने, खेतों में पर्याप्त सिंचाई के लिए बिजली की निर्बाध आपूर्ति जरूरी है, लेकिन आम जन-जीवन के लिए ही बिजली की आपूर्ति पूरी नहीं हो रही ऐसी मौजूदा स्थिति आगे चलकर बड़े संकट के संकेत दे रही है
निरंतर बिजली कटौती के कारण पंजाब में राजनीति का पारा भी बेहद अच्छा खासा बढ़ा हुआ है, पंजाब के विपक्षी दल भीषण गर्मी के दौरान कई जगहों पर बिजली कटौती को लेकर भगवंत मान सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि आम आदमी पार्टी की यह सरकार उपभोक्ताओं को चौबीस घंटे बिजली देने का वादा पूरा करने में विफल रही है.
विपक्षी दलों का कहना है कि सामान्य से अधिक बिजली कटौती घरेलू उपभोक्ताओं को असुविधा के अलावा खेती और औद्योगिक क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है. जिससे की आम लोगों के जीवन और जीविका दोनों ही बेहद प्रभावित हो रहे है
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक राज्य में बिजली की अधिकतम मांग 7,675 मेगावाट तक पहुंच गई है. उन्होंने बताया कि बुधवार को राज्य में 282 लाख यूनिट बिजली की कमी थी और सभी स्रोतों से बिजली आपूर्ति की उपलब्धता 1,679 लाख यूनिट थी. सूत्रों ने कहा कि तलवंडी साबो की दो इकाइयां, रोपड़ थर्मल प्लांट और जीवीके प्लांट की एक-एक यूनिट पहले से ही बंद है, जिससे बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ है.
शिरोमणि अकाली दल के नेता बलविंदर सिंह भुंदर ने कहा, ‘‘दिल्ली मॉडल ने पंजाब को बिजली का झटका दिया है. पंजाबियों को, जिन्हें चौबीसों घंटे बिजली की आपूर्ति का वादा किया गया था, गर्मी के मौसम की शुरुआत में 18 घंटे बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है.’’भुंदर ने दावा किया कि “कटौती” ने यह भी साबित कर दिया है कि आप के पास पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कोई दृष्टि नहीं थी.
पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा ने मुख्यमंत्री भगवंत मान पर तंज कसते हुए कहा, ‘‘अब तक मान साहब, आप समझ गए होंगे कि शासन एक वास्तविक चुनौती है, कोई ‘लाफ्टर चैलेंज’ नहीं.’’